बिन हाथों के यह कीट कितना सुंदर निर्माण कर देते हैं।


हुनर होशियारी के मामले में मधुमक्खी को बुद्धिमान कीट माना जाता है लेकिन कीटों के ही कुल में आने वाले कुम्हार ततैया जिसे मड डाउबर भी कहते हैं किसी भी मामले में मधुमक्खी की तो बात ही क्या मनुष्य को भी अपने रचना कौशल से आश्चर्यचकित करता है। पीले व काले रंग से युक्त कुम्हार ततैया अपने मुंह में मिट्टी भरकर उसमें पानी मिलाकर सप्ताहों की मेहनत से मिट्टी के बेहतरीन घोसला का निर्माण करता है इसके द्वारा निर्मित एक घोसले में 15 से 20 कक्ष होते है। आश्चर्य तो यह है उसे घोसले में यह खुद नहीं रहता केवल अपने बच्चों के लिए उसे बनाता है। जैसे ही प्रथम कक्ष का निर्माण पूरा होता है यह आसपास खास प्रजाति की मकड़ी को पकड़ता है उसे मकड़ी के गले में स्थित आहारनाल पर डंक मारता है डंक में मंद विष होता है डंक के कारण वह मकड़ी मूर्छित अवस्था या पैरालाइज्ड हो जाती है उसे पैरालाइज्ड मकड़ी को लाकर यह प्रथम कक्ष में छोड़ देता है और उस मूर्छित मकड़ी के पेट के ऊपर अपना अंडा यह कीट रख देता है या रख देती है और उस कक्ष के प्रवेश द्वार को मिट्टी से लीप देती है ।मकड़ी को यह मारता नहीं है केवल पैरालाइज करता है इसलिए यदि मकड़ी को यह मार देगा तो कक्ष में वह सड़ने लगेगी इससे इसका अंडा खराब हो जाएगा और अंडे से जो लार्वा निकलेगा फिर वह उसे मकड़ी को खा नही पाएगा जब तक वह निकलेगा मकड़ी का शव नष्ट हो जाएगा तो ऐसे में जैसे ही अंडे से दो-तीन दिन बाद लार्वा निकलता है वह मकड़ी को खाने लगता है और तीन सप्ताह तक वह व्यस्क कीट बनने की स्थिति में आ जाता है। कुम्हार ततैया अपने घोंसले के 15 से 20 कक्ष में इसी प्रक्रिया को अपनाता है और सबसे बाहरी कक्ष को विशेष मजबूती से मिट्टी के द्वारा लीपकर बंद कर देता है। बीच-बीच में यह उसे अपने घोसले की देखभाल भी करता रहता है इसकी बाहरी सतह पर कहीं दरारें पड़ जाती हैं जैसे पहले दूरदराज आज के ग्रामीण अंचल में आज भी मानव बस्तियों में मिट्टी के मकानों को लीपा जाता था उनकी मरम्मत की जाती थी तो यह भी बड़ी होशियारी से उसकी मरम्मत करता रहता है क्योंकि कक्ष के अंदर तापमान अधिक बना रहना चाहिए इससे लार्वा खराब नहीं होते लार्वा से कीट जल्दी अच्छा विकसित होता है तो यह पूरा ख्याल रखता है। मकड़ियों को शिकार बना कर यह प्रकृति में उनका नियंत्रण करता है। मनुष्य के लिए यह नुकसानदायक नहीं है सिवाय इसके द्वारा हुई एक विमान दुर्घटना के कारण जो वर्ष 1996 में हुई थी तुर्किश विमान कंपनी बरगेनियर के नागरिक विमान 306 के एयर स्पीड मापी यंत्र पीटोट ट्यूब के अंदर घोंसला बनाकर उसे आंशिक तौर पर ब्लॉक कर दिया था जिससे पायलट को हवा में विमान की गति की गलत रीडिंग मिली और अटलांटिक महासागर में विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया 189 यात्री उसमें मारे गए इस कीट का कोई दोष नहीं था विमान के क्रु मेंबर व टेक्निकल टीम की लापरवाही थी विमान 20 दिन से अधिक रनवे पर खड़ा हुआ था उड़ान से पूर्व उसके उपकरणों की जांच नहीं की गई।

इस नन्हे से कीट में देखने पर जो महज 1 इंच लंबा है कुछ मिलीग्राम वजनी है इतना हुनर कौशल कैसे होता है कैसे यह सटीकता से मकड़ी के गले में डंक मारता है ठीक उसकी आहार नाल में जिससे मकड़ी मूर्छित हो जाती है और कैसे यह घोंसले के लिए मिट्टी का चुनाव करता है कैसे यह तापमान का पता लगता है एक ही कीट आर्किटेक्ट से लेकर सिविल सर्जन और यहां तक की मौसम विज्ञानी की भूमिका में हमें नजर आ रहा है सचमुच भगवान का बनाया हुआ यह जगत कितना अनूठा है बिन हाथों के यह कीट कितना सुंदर निर्माण कर देते हैं। भारतीय संस्कृति बहुत महान है हमने बचपन से देखा सुना जाना है यह कीट घर में घोंसला बनाता है चारपाई के पाये में भी आसानी से घोंसला बना देता है इसकी घोसले को तोड़ना पाप माना गया है। आंखों के पलक में होने वाले इन्फेक्शन आईलिड इन्फेक्शन जो बैक्टीरिया के कारण होता है जिसे देहाती बोली हमारे इधर अंजनआरी कहते हैं लोक में प्रचलित एक भ्रांत धारणा है की जो इस कुम्हार ततैया के घर को तोड़ता है उसकी आंख में यह संक्रमण लगता है। वैज्ञानिक सच्चाई इसके विपरीत है लेकिन फिर भी यह मिथक कही ना कहीं इस कीट इसके घोसले को सुरक्षा ही प्रदान करता है। यह लार्वा से कीट बनने के दौरान ही मांसाहारी होता है उसके पश्चात अपना पूरा जीवन शाकाहारी फूलों के रस को पीकर व्यतीत करता है।
"कुम्हार ततैया,कर बिन करता कृति महान"
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बुजुर्गों का अनुभव, युवाओं का जोश और बच्चों के आईडिये की तिकड़ी चमत्कार कर सकती है क्योंकि

दोस्तों, बुजुर्गों का अनुभव, युवाओं का जोश और बच्चों के आईडिये की तिकड़ी चमत्कार कर सकती है क्योंकि बुजुर्गों - के पास अनुभव और समय दोनों हैं,  हाँ जोश और नये आइडिये थोड़े कम हैं, युवाओं - के पास जोश है पर अनुभव थोड़ा कम है. और आजकल के बच्चों - के पास नये नये आईडिया बहुत हैं पर कब, कहाँ और कैसे लगाना है ये पता नहीं।
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(1) एक नजरिया 
एक फैक्ट्री में एक इंजन ख़राब हो गया, बहुत सारे युवा उसे ठीक करने की कोशिश कर रहे थे पर 10 दिन तक कुछ नहीं हुआ. फैक्ट्री को हर दिन लाखों रुपये का नुकसान हो रहा था. तभी वहां एक बुजुर्ग आ गए जो किसी समय में वहां नौकरी करते थे. जैसे ही ये बात उन बुजुर्ग को पता चली तो उन्होंने इंजन को देखा और बस एक ही हथौड़ा मारा होगा उन बुजुर्ग व्यक्ति ने कि इंजन चालू हो गया.
जी हाँ ये कमाल था उनके अनुभव का. अगर हम अपनी समस्याओं का समाधान अपने बुजुर्गों से पूछें तो पाएंगे कि उनके पास एक ही समस्या के कई कई समाधान होते हैं, बस हमें पूछने की देर है.

(2) दूसरा नजरिया 
कुछ इंजीनियर/ कर्मचारी एक टेढ़े मेढ़े पाइप में तार डालने की कोशिश कर रहे थे. कई घंटों की मेहनत के बाद भी जब वो तार को उस पाइप में नहीं डाल पाए तो एक बच्चा कहीं से चूहा पकड़ कर लाया और तार को उस चूहे की पूँछ में बाँध कर तार को पाइप के दूसरी तरफ से निकाल दिया.
जी हाँ, मान कर चलिए आजकल के बच्चों के पास आईडिये बहुत हैं और नई technology सिखने में भी उन्हें समय नहीं लगता.

(3) तीसरा नजरिया 
घर में किसी भी function में, अपने अनुभव से बुजुर्ग सारे प्रोग्राम बनाते हैं, युवा भाग दौड़ कर के उन कामों को पूरा करते हैं और बच्चे नए नए आईडिया दे कर उन प्रोग्रामों में चार चाँद लगा देते हैं. 
ये हैं हमारे अपने घरों में तीनों की एक साथ उपयोगिता.
इसी तरह मित्रों, अगर हमें भी हमारे भारत को एक भारत और श्रेष्ठ भारत बनाना है तो हम तीनों (बुजुर्ग, युवा, बच्चे) को एक साथ मिल कर कोई भी काम करना होगा.

सोच कर देखिये जिन देशों ने भी इस तकनीक को अपनाया है वे आज की तारीख में विकसित देशों की श्रेणी में हैं. ये प्रयोग सिर्फ देश को ही नहीं करना है, अगर हम भी अपने अपने घरों के हर छोटे बड़े कामों में भी ये प्रयोग करना शुरू कर दें *तो समझिये हम भी जल्दी ही विकसित की श्रेणी में आ जायेंगे और कोई बड़ा चमत्कार कर दे, तो कोई आश्चर्य नहीं होगा* 
 
जिंदगी में जब कभी भी टूटने लगे हौसले,
तो बस ये बात याद रखना,
बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते,
ढूँढ़ ही लेते है अंधेरों में मंजिल अपनी,
जुगनू कभी किसी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते…..!

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 

बहुत सी तीरंदाजी प्रतियोगिताएँ जीतने के बाद एक नौजवान तीरंदाज ...

बहुत सी तीरंदाजी प्रतियोगिताएँ जीतने के बाद एक नौजवान तीरंदाज खुद को सबसे बड़ा धनुर्धर मानने लगा । वह जहाँ भी जाता लोगों को उससे मुकाबला करने की चुनौती देता, और उन्हें हरा कर उनका मज़ाक उड़ाता । एक बार उसने एक प्रसिद्द धनुर्धर मास्टर को चुनौती देने का फैसला किया और सुबह -सुबह पहाढ़ों के बीच स्थित उनके मठ जा पहुंचा ।
“मास्टर मैं आपको तीरंदाजी मुकाबले के लिए चुनौती देता हूँ । “, नवयुवक बोला ।
मास्टर ने नवयुवक की चुनौती स्वीकार कर ली ।
मुक़ाबला शुरू हुआ ।
नवयुवक ने अपने पहले प्रयास में ही दूर रखे लक्ष्य के ठीक बीचो -बीच निशाना लगा दिया ।
और अगले निशाने में उसने लक्ष्य पर लगे पहले तीर को ही भेद डाला ।
अपनी योग्यता पर घमंड करते हुए नवयुवक बोला, ” कहिये मास्टर, क्या आप इससे बेहतर करके दिखा सकते हैं ? यदि ‘हाँ ‘ तो कर के दिखाइए, यदि ‘नहीं ‘ तो हार मान लीजिये ।
मास्टर बोले, ” पुत्र, मेरे पीछे आओ !”
मास्टर चलते-चलते एक खतरनाक खाई के पास पहुँच गए ।
नवयुवक यह सब देख कुछ घबड़ाया और बोला, “मास्टर, ये आप मुझे कहाँ लेकर जा रहे हैं ? “
मास्टर बोले, ” घबराओ मत पुत्र, हम लगभग पहुँच ही गए हैं, बस अब हमें इस ज़र्ज़र पुल के बीचो -बीच जाना है । “
नवयुवक ने देखा की दो पहाड़ियों को जोड़ने के लिए किसी ने लकड़ी के एक कामचलाऊ पुल का निर्माण किया था, और मास्टर उसी पर जाने के लिए कह रहे थे।
मास्टर पुल के बीचो – बीच पहुंचे, कमान से तीर निकाला और दूर एक पेड़ के तने पर सटीक निशाना लगाया ।निशाना लगाने के बाद मास्टर बोले, ” आओ पुत्र, अब तुम भी उसी पेड़ पर निशाना लगा कर अपनी दक्षता सिद्ध करो । “
नवयुवक डरते -डरते आगे बढ़ा और बेहद कठिनाई के साथ पुल के बीचों – बीच पहुंचा और किसी तरह कमान से तीर निकाल कर निशाना लगाया पर निशाना लक्ष्य के आस -पास भी नहीं लगा ।
नवयुवक निराश हो गया और अपनी हार स्वीकार कर ली ।
तब मास्टर बोले, ” पुत्र, तुमने तीर -धनुष पर तो नियंत्रण हांसिल कर लिया है पर तुम्हारा उस मन पर अभी भी नियंत्रण नहीं है जो किसी भी परिस्थिति में लक्ष्य को भेदने के लिए आवश्यक है। पुत्र, इस बात को हमेशा ध्यान में रखो कि *जब तक मनुष्य के अंदर सीखने की जिज्ञासा है तब तक उसके ज्ञान में वृद्धि होती है लेकिन जब उसके अंदर सर्वश्रेष्ठ होने का अहंकार आ जाता है तभी से उसका पतन प्रारम्भ हो जाता है* ।“
नवयुवक मास्टर की बात समझ चुका था, उसे एहसास हो गया कि *उसका धनुर्विद्या का ज्ञान बस अनुकूल परिस्थितियों में कारगर है और उसे अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है।* उसने तत्काल ही अपने अहंकार के लिए मास्टर से क्षमा मांगी और सदा एक शिष्य की तरह सीखने और अपने ज्ञान पर घमंड ना करने की सौगंध ली ।
दोस्तों, बहुत बार हम अपनी कई जिज्ञासाओं का समाधान करने में सिर्फ इसलिए संकोच करते हैं कि लोग क्या सोचेंगे वे हमें अज्ञानी न समझ लें और हमारे दिल की बात जुबाँ तक आते-आते रुक जाती है जबकि सर्वज्ञाता बनना किसी के भी लिए असंभव है। किसी ने क्या खूब कहा है- यदि आप अपनी जिज्ञासा समाधान हेतु प्रश्न करते हैं तो महज चंद पल के लिए अज्ञानी साबित होते हैं, परंतु यदि नहीं करते तो हमेशा के लिए अज्ञानी बन जाते हैं। इसलिए जब भी कोई स्वस्थ, रचनात्मक व स्तरयुक्त जिज्ञासा आपके मन में उठे, उसी क्षण उसका समाधान करने का प्रयास करें।
अहंकार को एकदम छोड दीजिये । ज्ञान का क्षेत्र बेहद व्यापक है। इस अविरल छलकती ज्ञान गंगा में से अपने लिए जितने सार्थक मोती समेट सकें, समेटने की कोशिश कीजिए।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 

अपनी नन्ही सी बेटी की भूख शांत करने एक दिन एक ...

अपनी नन्ही सी बेटी की भूख शांत  करने एक दिन एक बेहद ग़रीब आदमी ने एक दुकान से पाव रोटी चुराई और झट से उसे लेकर एक तरफ मूड गया ताकि उसे कोई देख न ले ।

लेकिन दुकान में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ था इसलिए दुकान मालिक ने उसे देख लिया औऱ जाते जाते उसे पकड़ लिया गया। 

लेकिन उस गरीब आदमी के साथ उसकी बेटी भी थी।दुकान के ठीक बाहर खड़ी उसकी बेटी को जब कुछ शक हुआ तो उसने अपने पिताजी से पूछा...क्या हुआ पापा ??

नन्ही बेटी को अपनी तरफ़ आते देख बाप बेहद परेशान हो जाता है और जल्दी ही दुकान मालिक से हाथ जोड़कर माफ़ी माँगने के लिए अपने होंठ हिलाता है।

जब तक दुकान मालिक पूरे माजरा को समझता है , तब तक उसकी नन्ही बेटी उसके पास आ जाती है ।

उसके बाद दुकान मालिक उसकी नन्ही बेटी के सिर पर बड़े प्रेम से अपना हाथ फेरते हुए कहता है... " बेटी, तेरा बाप जल्दीबाजी में अपना बचा हुआ पैसा लेना भूल गया था ,.....बस औऱ कुछ नहीं " ।

इसके साथ ही दुकान मालिक कुछ पैसे गिनता है और उसे पकड़ा देता है…।

दुकान से बाहर निकलते समय बाप अफसोस और बेबसी से शर्मसार दिखाई देता हैं ।

तभी दुकान से *दूसरा आदमी* जोर से आवाज़ देकर कहता है " भाई , अपना ये चावल का थैला भी भूल गए हो , इसे भी लेते जाओ । "

गरीब आदमी मुड़कर वापस आता है औऱ बड़े कृतज्ञता के भाव से दुकान मालिक की तरह देखते हुए चावल का थैला भी लेकर चला जाता है .

याद रखें दोस्तों......इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है। 
आपको जो संतुष्टि का एहसास होगा उसे शब्दों में बयाँ करना मुमकिन नही हैं।आप भी जरुरतमद की भलाई के लिए ऐसे काम जरूर करें व किसी का सहारा बने। जिससे आप भी बहुत खुश रहेंगे और सब की दुआएं भी आपको मिलती रहेंगी।
गुरुवर कहते अगर हम जरूरतमंद लोगों का पर्दा रखते हुए उनकी मदद करते हैं तो ऊपरवाला भी इसी तरह हमारी मदद करता है ।
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

इस संसार में जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है- खाना! हमारे देश में बहुत से लोग है, जो भूखे पेट सोने को मजबूर हो जाते हैं। दुख का विषय है कि स्वतंत्रता के 76 वर्ष बीतने के बाद भी हमारे भारत देश में 19 करोड़ लोग प्रतिदिन भूखे पेट सो जाते हैं ।
हर व्यक्ति समाज का हिस्सा है और समाज में हर व्यक्ति की अपनी-अपनी भूमिका होती है। गरीब और असहाय व्यक्ति भी समाज का ही हिस्सा है, लेकिन समाज के सिस्टम के कारण वह सुख सुविधाओं से दूर हो जाता है। 

भोजन करके खाइए, सौंफ, गुड, अजवान!

पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात!
सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात!!

धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार!
दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार!!

ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर!
कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर!!

प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप!
बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप!!

ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार!
करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार!!

भोजन करें धरती पर, अल्थी पल्थी मार!
चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार!!

प्रातः काल फल रस लो, दुपहर लस्सी-छांस!
सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश!!

प्रातः- दोपहर लीजिये, जब नियमित आहार! तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार!!

भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार!
डाक्टर, ओझा, वैद्य का , लुट जाए व्यापार !!

घूट-घूट पानी पियो, रह तनाव से दूर!
एसिडिटी, या मोटापा, होवें चकनाचूर!!

अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास!
पानी पीजै बैठकर, कभी न आवें पास!!

रक्तचाप बढने लगे, तब मत सोचो भाय!
सौगंध राम की खाइ के, तुरत छोड दो चाय!!

सुबह खाइये कुवंर-सा, दुपहर यथा नरेश!
भोजन लीजै रात में, जैसे रंक सुरेश!!

देर रात तक जागना, रोगों का जंजाल!
अपच,आंख के रोग सँग, तन भी रहे निढाल^^

दर्द, घाव, फोडा, चुभन, सूजन, चोट पिराइ!
बीस मिनट चुंबक धरौ, पिरवा जाइ हेराइ!!

सत्तर रोगों कोे करे, चूना हमसे दूर!
दूर करे ये बाझपन, सुस्ती अपच हुजूर!!

भोजन करके जोहिए, केवल घंटा डेढ!
पानी इसके बाद पी, ये औषधि का पेड!!

अलसी, तिल, नारियल, घी सरसों का तेल!
यही खाइए नहीं तो, हार्ट समझिए फेल!

पहला स्थान सेंधा नमक, पहाड़ी नमक सु जान!
श्वेत नमक है सागरी, ये है जहर समान!!

अल्यूमिन के पात्र का, करता है जो उपयोग!
आमंत्रित करता सदा, वह अडतालीस रोग!!

फल या मीठा खाइके, तुरत न पीजै नीर!
ये सब छोटी आंत में, बनते विषधर तीर!!

चोकर खाने से सदा, बढती तन की शक्ति!
गेहूँ मोटा पीसिए, दिल में बढे विरक्ति!!

रोज मुलहठी चूसिए, कफ बाहर आ जाय!
बने सुरीला कंठ भी, सबको लगत सुहाय!!

भोजन करके खाइए, सौंफ, गुड, अजवान!
पत्थर भी पच जायगा, जानै सकल जहान!!

लौकी का रस पीजिए, चोकर युक्त पिसान!
तुलसी, गुड, सेंधा नमक, हृदय रोग निदान!

चैत्र माह में नीम की, पत्ती हर दिन खावे !
ज्वर, डेंगू या मलेरिया, बारह मील भगावे !!

सौ वर्षों तक वह जिए, लेते नाक से सांस!
अल्पकाल जीवें, करें, मुंह से श्वासोच्छ्वास!!

सितम, गर्म जल से कभी, करिये मत स्नान!
घट जाता है आत्मबल, नैनन को नुकसान!!

हृदय रोग से आपको, बचना है श्रीमान!
सुरा, चाय या कोल्ड्रिंक, का मत करिए पान!!

अगर नहावें गरम जल, तन-मन हो कमजोर!
नयन ज्योति कमजोर हो, शक्ति घटे चहुंओर!!

तुलसी का पत्ता करें, यदि हरदम उपयोग!
मिट जाते हर उम्र में,तन में सारे रोग। 🌸

Steve Jobs inspirational quotes in Hindi

Quote 1: आओ, आने वाले कल में कुछ नया करते हैं बजाए कि इसकी चिंता करने के, कि कल क्‍या हुआ था।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 2: आज हम नए हैं, लेकिन कुछ दिन बीत जाने पर, हम भी पुराने हो जायेंगे और ये पूर्ण सत्य है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 3: आप Customer से यह नहीं पूछ सकते कि वो क्या चाहते हैं और फिर उन्हें वो चीज बना के दें, आप जब तक उसे बनायेंगे तब तक वो कुछ नया चाहने लगेंगे।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 4: आप जिस समस्या का हल चाहते हो और अगर उसका समाधान मिल गया हो, तब केवल समाधान बताना गलत है, उस समस्या को भी साथ में स्पष्ट करना जरूरी है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 5: आप द्वारा चयनित कार्य में ऐसा कुछ होना जरूरी है जिसके लिए आप में जूनून सवार हो अन्यथा आपमें उसे सिद्दत(पूर्ण लगन) से करने की दृढ़ता नही रहेगी।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 6: आपका कार्य जि़न्दगी के एक बड़े भाग को संतुष्ट करना है और संतुष्टि प्राप्त करने के लिए वो करें, जिसमें आप विश्वास करते हैं। महान कार्य करने का एक ही तरीका है, आप जो करते हैं उससे प्रेम करें। यदि आप जो करना चाहते हैं वो प्राप्त नहीं हुआ है तो उसे खोजिए। स्वयं को ठहरने मत दीजिए।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 7: आपके चारों ओर सब-कुछ जिसे आपसे कम होनहार लोगों ने बनाया है, आप इसको जीवन कहते हैं, आप इसे बदल सकते हैं, आप इसे प्रेरित कर सकते हैं, आप खुद चीजों का निर्माण कर सकते हैं, जिनका उपयोग दूसरें लोग कर सकते हैं।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 8: आपके पास सीमित समय (limited time) है तो इसको किसी अन्य की जिन्दगी जी-कर इसे बर्बाद मत करो। फालतू के विचारो में मत फसिये। हमारे विचार जो अन्य लोगो की सोच का परिणाम है, अपने भीतर की आवाज को औरो के शोरगुल में मत खोने दीजिये और सबसे महत्वपूर्ण है, अपने दिल ओर अंतर्ज्ञान के साहस का पालन करना।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 9: आपको अपनी सोच को साफ और सरल बनाने के लिए मेहनत करनी चाहिए। मेहनत से मिली ऐसी सोच परिणाम के लिए बड़ा मूल्य रखती है क्योंकि इसे पाकर आप पर्वत को भी हिला सकते हैं।
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Quote 10: आपको किसी चीज़ में विश्वास करना चाहिए। आपका साहस, संभावना, भाग्य, नसीब, जीवन, ऊर्जा या कर्म जिनमें भी आप चाहें। ये दृष्टिकोण आपको कभी गिरने नहीं देगा और जि़न्दगी में अनेंको विभिन्नतायें प्रदान करेगा।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 11: आपको जिन्दगी में बहुत सारी चीजें करने पड़ती हैं, फिर भी अभी-अभी हमने किसी कार्य को करने का मानस बनाया है, तो हमें उस कार्य को महान बनाना चाहिए।
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Quote 12: इकलौता तरीका महान कार्य करने का यह है कि आप कार्य से प्‍यार करें।
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Quote 13: इस बात को याद करना कि एक दिन मरना है। किसी चीज के खोने के डर को दूर करने का यह सबसे अच्‍छा तरीका है।
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Quote 14: कई सालो तक दिलचस्प विचारो और नई प्रौघोगिकी की खोज करने के बाद, एक कम्पनी में परिवर्तित करने में सालो का समय लगता है, ये सारा करने में बहुत ज्यादा अनुशासन की जरुरत होती है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 15: कभी-कभी जिन्दगी आपके सिर को ईंट से भी मारती है। लेकिन ऐसे में भी अपने विश्वास को मत खोईए।
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Quote 16: किसी खास समुदाय को ध्यान में रखकर उत्पादों के डिजाइन करना बेहद मुश्किल होता है, क्यूंकि बहुत से लोग नहीं जानते कि वे क्या चाहते है जब तक आप उन्हें दिखायेंगे नहीं|
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Quote 17: किसी चीज को महत्‍वपूर्ण होने के लिए दुनिया को बदलने की जरूरत नहीं है।
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Quote 18: कोई Problem आने पर पूराने लोग पूंछते हैं यह क्‍या है? जबकि साहसी लड़के पूछते हैं हम इसके साथ क्‍या कर सकते हैं?
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Quote 19: कोई भी मरना नहीं चाहता है। वे लोग जो स्वर्ग जाने की इच्छा रखते हैं, वो भी नहीं मरना चाहते हैं। लेकिन मौत से कभी कोई बच नहीं सका है। मृत्यु जिन्दगी का श्रेष्ठ अविष्कार है। ये जीवन को परिवर्तित करने का माध्यम है जो पुराने को मिटाकर नए की राह दिखता है।
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Quote 20: कोई भी सफलता एक रात में नहीं मिलती है। उसके पीछे न जाने कितने वर्षों की कड़ी मेहनत होती है।
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Quote 21: क्या नहीं करना चाहिए इसका निर्णय भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि यह निर्णय लेना, कि क्या करना है।
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Quote 22: गुणवता में विश्वास कीजिए| कई कम्पनियों ने छंटनी का फैसला किया जो शायद उनके लिए सही हो लेकिन हमने अलग रह चुनी – हमारा विश्वास है कि अगर हम Customers के सामने बेहतरीन Products रखेंगे तो वे अपना पर्स खोलते रहेंगे|
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Quote 23: गुणवत्‍ता प्रचुरता से अधिक महत्‍वपूर्ण है। एक छक्‍का दो-दो रन बनाने से कही बेहतर है।
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Quote 24: जब मैंने मौत को बहुत नजदीक से देखा, तब मौत भी लाभकारी थी।
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Quote 25: जो लोग इस बात को दीवानगी तक सोचते हैं कि वो दुनिया बदल सकते हैं वही दुनिया को बदलते हैं।
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Quote 26: ज्ञान के लिए हमेशा भूखे रहो, मूर्ख रहो।
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Quote 27: डायलन, पिकासो और न्यूटन जैसे महान कलाकारों ने विफलता का जोखिम उठाया। हम महान बनना चाहते हैं, तो हमें भी यह जोखिम तो उठाना ही पड़ेगा।
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Quote 28: डिजाइन बस यह नही है कि बस यह कैसा दिखता है और कैसा लगता है। डिजाइन का मतलब यह है कि यह काम कैसे करता है।
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Quote 29: दुनिया में सनकी, नालायक, विद्रोही, मुसीबत खड़ी करने वाले, स्थिति से बेमेल लोग हैं। जिनका नजरिया अलग होता है। ऐसे लोग चीजों को बदलते हैं। उन्होंने मानव सभ्यता को आगे बढाया है। कुछ लोग जिन्हें सनकी पागल समझते हैं, हमें वो बहुत प्रतिभावान लगेंगे।
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Quote 30: नवीनता ही मागदर्शक (Leader) और अनुयायियों (follower) में फर्क बताती है।
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Quote 31: महान लोगों और उत्तम उत्पादों का अंत कभी नहीं होता है।
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Quote 32: मुझे लगता है कि हम मजे कर रहे हैं। मुझे लगता है कि हमारे ग्राहकों को वास्‍तव में हमारे उत्‍पाद पसंद है और हम हमेंशा बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं।
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Quote 33: मैं अपने जीवन को एक पेशा नहीं मानता। मैं कर्म में विश्वास रखता हूं। मैं परिस्थितियों से शिक्षा लेता हूं। यह पेशा या नौकरी नहीं है यह तो जीवन का सार है।
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Quote 34: मैं उच्च शिक्षा के मूल्य को खारिज नहीं कर रहा हूँ मैं बस यही कहना चाहता हूँ कि सृजनात्मकता अनुभव की कीमत पर आती है।
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Quote 35: मैं नकल कर उत्पाद (प्रोडक्ट) बनाने की बजाय अपने दृष्टिकोण के उत्पाद पर दाव लगाना ज्यादा पसंद करूँगा।
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Quote 36: मैं सहमत हूँ कि वो जि़द (हठ) ही है जो सफल उद्यमी और असफल लोगों को पृथक करती है।
Quote 37: मैं सोचता हूँ कि यदि आप कुछ कर रहे हैं और वो अच्छा हो जाता है तो आपको इस कार्य पर अधिक विचार करने की बजाए कुछ और आश्चर्यजनक करना चाहिए। अगले कार्य के लिए विचार कीजिए।
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Quote 38: यदि आप किसी चीज़ से प्रेम नहीं करते तो आप अतिरिक्त मील तक नहीं जायेंगे, सप्ताह के अंत में अतिरिक्त कार्य नहीं करेंगे और वर्तमान स्थिति को चुनौती नहीं देंगे।
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Quote 39: यदि आपकी नजर लाभ पर रहेगी तो आपका ध्‍यान उत्‍पाद की गुणवत्‍ता से हट जायेगा, लेकिन यदि आप एक अच्‍छा उत्‍पाद बनाने पर ध्‍यान लगाओगे तो लाभ अपने आप आपका अनुसरण करेगा।
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Quote 40: यदि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया लेकिन असफल हो गया तो भी अच्छा है। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तो दिया।
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Quote 41: ये मेरे मंत्रों में से एक है कि ध्यान केन्द्रित करो और सरल रहो। सरल भी जटिल से ज़्यादा दृढ़ हो सकता है।
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Quote 42: Creativity कुछ विचारों और चीज़ों का जोड़ना है। जब आप किसी रचनात्मक व्यक्ति से पूछेंगे कि उसने ये कैसे किया है तो वो स्वयं को दोषी महसूस करेगा, क्योंकि वो उसने वास्तव में किया ही नहीं है। उसने बस कुछ देखा और वो उसके समक्ष जाहिर हो गया।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 43: संसार आपको तभी पहचान सकेगा जब आप संसार को अपनी क्षमताओं से परिचय करायेंगे।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 44: सबसे महत्वपूर्ण, अपने दिल और अंतर्ज्ञान का उपयोग करने का साहस करो। वे किसी तरह पहले से ही जानते है की तुम सच में क्या बनना चाहते हो। बाकी सब गौण है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 45: समाधिस्थल में सबसे अमीर आदमी बनने से मुझे कोई मतलब नहीं है। मैं रात में अपने बिस्तर पर जाने से पहले ये कहूँ कि आज हमने कुछ आश्चर्यजनक किया है ये मेरे लिए महत्वपूर्ण है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 46: आप पहले से ही निर्वस्त्र हैं और कुछ खोने के लिए है ही नहीं। इसलिए ऐसी कोई भी वजह नहीं है कि आप अपने दिल की नहीं सुनें।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 47: हम यहाँ पर ब्रह्माण्‍ड में सेंध लगाने के लिए है अन्‍यथा हम यहाँ पर क्‍यों है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 48: हर किसी के पास विवेक होता है और ये वर्तमान में उन क्षणों में से होता है जिससे हमारा भविष्य प्रभावित होता है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स


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टी.बी. के काल्पनिक मरीज न बने, न ही अपने बच्चों को बनाएं -

हमारे देश के डॉक्टर आज किसी भी मामले में किसी से भी पीछे नहीं है और उन्होंने लोगों की दुःख-बीमारी में उनके शोषण के नए-नए तरीके ईजाद कर लिए हैं. ड्रग ट्रायल, काल्पनिक बीमारियों का भय दिखाकर मरीजों और उनके परिवार का शोषण करना, जो बीमारी नहीं है, उसकी दवाई देना, जो तकलीफ नहीं है, उसका आपरेशन करना आदि, आदि.
इसी तरह जो डॉक्टर जांच करवा कर मरीजों को टी.बी. की बीमारी बता रहे हैं, वह वास्तव में कितनी सही है, यह भी किसी भी सर्वे के अनुसार निश्चित ही नहीं है और अगर फिर इस जांच के आधार पर इन मरीजों को सालो तक के इतने लम्बे समय तक बिना बीमारी के ये दवा दे दी जायेंगी, तो फिर उनका तो भगवान ही मालिक होगा.
साथ ही छोटे-छोटे बच्चों को जब 15 माह तक प्रायमरी काम्प्लेक्स के नाम पर दवाइयां दी जाती हैं, तो उन मासूमों का क्या हाल होता होगा? जीवन में आगे जाकर उनको क्या-क्या परेशानी आती होगी?
मेरे ही एक परिचित के बच्चे को आज से 25 वर्ष पूर्व टी.बी. की ये दवाइयाँ प्रायमरी काम्प्लेक्स बताकर दी गयी थी, तब से वह बच्चा आज शादीशुदा व बच्चों वाला युवक है, लेकिन फिर भी वह अपनी जिम्मेदारी सम्हाल नहीं पा रहा है और अपने पिता पर ही आश्रित है. इससे यह पता चल रहा है कि हम अपनी आगे आने वाली पीढ़ी को किस दलदल में धकेल रहे हैं?
हमारे फेसबुक के दिल्ली के एक मित्र श्री मिश्र सा. बताते हैं कि जब डॉक्टरों द्वारा gastric pain को heart attack बताया जाता है, तो हम क्या कर सकते हैं?
अनपढ़ तो छोड़िए, समझदार व्यक्ति और उसके परिवार वाले भी एक डॉक्टर की बात मानने के अलावा उस समय क्या कर सकते हैं?
वे आगे बताते हैं कि डॉक्टर साहब मेरी स्वयं की दो बार heart surgery हो गई है व aeortic valve व एक जीवन रक्षक प्रणाली ICD implanted है। अब cardiologist की हर एक बात मानने को मैं मजबूर हूँ।
यह बात भी सही है कि टी.बी. की दवा डेढ़ साल तक लेने के बाद भी कई मरीजों को आराम नहीं होता है, फिर दूसरी कई जांच कराई जाती है और फिर से दूसरी दवाइयां दे दी जाती हैं. तब फिर अन्य कई रोग होने पर कई दवाइयां आपको आजीवन लेनी पड़ती हैं.
कुछ सालों बाद किसी भी छोटी सी परेशानी होने पर डॉक्टर फिर से कहता है कि ये जांच और करवाओ. इस तरह आपके लाखो रूपए लुटते हैं और फिर आपकी पूरी जिंदगी परेशानी और उलझन में ही ख़त्म हो जाती है.
सभी डॉक्टरों के लिए प्रत्येक मरीज आज सिर्फ एक ग्राहक ही हैं और कोई दुकानदार अपने ग्राहक को क्यों छोड़ेगा? आज मरीजों की हालत इतनी बिगड़ चुकी है कि जैसा डॉक्टर नचा रहे हैं, वैसे ही वे और उनके परिवार वाले नाच रहे हैं. इस घटना से सिद्ध होता है कि आज के अधिकांश रोग एलोपेथी डॉक्टरों द्वारा डराकर और हवाबाजी करके ही पैदा किये जाते है.
आज के कई गंभीर रोग तो वास्तव में किसी एक बीमारी के इलाज से पैदा होते हैं और अधिकांश प्रकरणों में देखा गया है की मूल रोग से ये रोग कई गुणा ज्यादा खतरनाक होते हैं.
एलोपैथी में प्रयुक्त प्रत्येक दवा किसी न किसी रूप में शरीर को हानि अवश्य पहुँचाती है, कुछ बीमारियों में दूसरे विकल्प कम होने से उपयोग आवश्यक हो जाता है। किन्तु सालोंसाल इलाज करवाने पर भी ये गंभीर बीमारी हुई तो क्यों?
क्या इस बात का किसी भी डॉक्टर के पास कोई जवाब है? क्या सालों तक दवाई लेने पर भी बीमार रहने की कोई जिम्मेदारी डॉक्टरों पर नहीं आती है?
सभी डॉक्टर आपस में इतने जुड़े रहते हैं कि किसी एक डॉक्टर की गलती को कोई दूसरा डॉक्टर नहीं बतायेगा. मरीज का चाहे कुछ भी होता रहे, इससे उन्हें क्या?
हमारे शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम का उचित संतुलन ही हमारे शरीर को स्वास्थ्य प्रदान करता है और उसके फलस्वरूप हमारे शरीर के सभी अंगो का कार्य ठीक तरह से होता रहता है।
अत: किसी भी कारण से यदि हमारे इम्यूनिटी सिस्टम की प्रक्रिया गड़बड़ा जाए, तो हम बीमारी हो जाते हैं।
बीमारी के उपचार के लिये हमारे देश में कई तरह की चिकित्सा प्रणाली हैं, जैसे कि एलोपैथी, आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी आदि. हर चिकित्सा प्रणाली के अपने-अपने गुण-दोष होते है.
ख़ास तौर पर हम यह बात कह सकते हैं कि एलोपेथी ने सर्जरी और विभिन्न शारीरिक जांच के क्षेत्र में बहुत तरक्की की है, लेकिन एलोपेथी दवाइयों के दुष्परिणाम इतने भयानक होते हैं कि उनसे शरीर तंत्र को अकल्पनीय नुक्सान पहुँचता है और अक्सर कुछ समय बाद अधिकांश लोगों को आजीवन दवाइयां लेनी पड़ती है.
इस तरह हमारा शरीर दवाइयों का गुलाम बन घिसट-घिसट कर चलने लगता है. इस उपचार से शरीर के दूसरे अंगों पर उस दवाई का क्या प्रभाव पड़ेगा, इस बात की भी कोई जानकारी नहीं दी जाती है.
एलोपैथी की चिकित्सा प्रणालियाँ शरीर आश्रित न होकर बीमारी आधारित होती हैं.
1) इनमें शरीर के किसी भी अंग में हो रही किसी भी बीमारी का इलाज करने का दावा किया जाता है.
2) बाद में कोई भी समस्या होने पर कहा जाता है कि यह नई बीमारी पैदा हो गयी है. फिर उसका उपचार शुरू किया जाता है. इस तरह एक तरह की चेन-रिएक्शन शुरू हो जाती है और हम डॉक्टरों के मरीज से ग्राहक बन जाते हैं.
3) अधिकांश लोगों को अधिकांश एलोपथिक दवाइयां पूरी तरह पचती नहीं है, जिसके कारण हमारी किडनी, आतों और लीवर को बची हुई दवाइयों को बाहर निकलने में अत्यधिक परेशानी आती है. यही कारण है कि आजकल बहुत से लोगों की किडनी जल्द ही ख़राब हो जाती है, जबकि भगवान ने एक किडनी की ही जरुरत होने पर भी हमें दो किडनी दी हैं. लेकिन लीवर और ह्रदय की क्षति होने पर उसको सुधारने का का तो कोई विकल्प होता ही नहीं है.
4) हर दिन नई एलोपथिक दवाइयां बन रही हैं और अधिकांश पुरानी दवाइयों के घातक और खतरनाक परिणामों के कारण इन्हें कुछ ही वर्षों बाद बेन करना पड़ता है. वे दवाइयां तो शुरू से ही मनुष्यों को हानिकारक थी, लेकिन यह बात 10 से 20 वर्षों बाद पता चलती है, और तब इन्हें बेन किया जाता है. इस तरह मल्टीनेशनल कम्पनियां और डॉक्टर मिलकर का एलोपेथिक दवाइयों का व्यापार कर करोड़ों रुपयों की काली कमाई कर रहे हैं.
5) कई बार मल्टीनेशनल दवा कम्पनियां किसी भी नई दवाई के हानिकारक असर को जानते हुए भी जानबूझ कर अपने अनुसंधानों में हुए करोड़ो रूपये के खर्च की भरपाई के लिए इन्हें पैसे के बल पर और डॉक्टरों को मोटी रकम कमिशन के रूप में दे कर बाज़ार में उतार कर मरीजों को खिला देते हैं.
6) ये मल्टीनेशनल दवा कम्पनियां कई बार फिर दूसरी दवा का ड्रग ट्रायल करके अपनी ही पिछली दवा के अवगुण बता कर उसे बेन कर देते हैं और नई दवा को बाजार में उतार देते हैं.
7) हमारे देश में मेडिकल फील्ड में इतना बुरा हाल है कि किसी भी प्रकरण में डॉक्टर ही भगवान हैं, डॉक्टर ही जज हैं, डॉक्टर ही वकील हैं और डॉक्टर जो चाहते हैं, वही होता है. उनके ऊपर कोई नहीं हटा है, वे जो चाहे कर सकते हैं; बस मरीज ही हर द्रष्टि से मुलजिम है, मरीज ही मुजरिम है. बस अब उसे आजीवन अत्यंत पीड़ादायक सजा भुगतना ही है.
8) कई बड़े-बड़े अस्पतालों में हो रहे मरीजों के शोषण को देख कर कई बार मुझे लगता है कि गिद्धों का झुण्ड तो किसी मरे हुए प्राणी का ही मांस नोंच-नोंच कर खाते हैं, किन्तु हमारे बहुत से डॉक्टर्स तो कई तरह की जांच, सर्जरी और दवाइयों के नाम पर एक जीवित मनुष्य को ही नोंच-नोंच कर खाते हैं.
9) यह कितनी बड़ी विडंबना है कि जिन्हें हम साक्षात् भगवान की संज्ञा देते हैं, वे अपनी डॉक्टरी और फिर किसी विषय में विशेषज्ञता प्राप्त करने में लगे करोडो रुपयों को वसूलने में ही लगे रहते हैं. मरीजों की पीड़ा और उनके परिवार की व्यथा कथा को जानकर भी वे निर्मम ही होते हैं.
10) हमारे भारत में इस क्षेत्र में इतनी ढील है कि कई दवाइयों को आज हमारे देश को छोड़ कर इन्हें विश्व के कई देशों में बेन भी किया जा चुका है.
11) आज कई बीमारियों जैसे डायबटीज, ह्रदय रोग, ब्लड प्रेशर, कैंसर, एड्स, दमा आदि का कोई उपचार नहीं है, सिर्फ उन्हें आगे और फैलने से रोकने के लिए दवाई दी जाती हैं, जो कई बार आजीवन चलती हैं और जिसके अपने आप में बहुत से हानिकारक प्रभाव होते हैं.
12) साथ ही अधिकांश औषधियाँ उन पर लिखे मूल्य की तुलना में बेहद सस्ती होती हें. औषधि निर्माता कंपनियाँ दो तरह की दवाएं बनाती है, एक वह जिसे किसी ब्रांड नाम से बेचती है, दूसरी जेनरिक नाम से जैसे पेरासिटामोल आदि और अधिकतर में एक पेटेंट नाम भी हो सकता है। पेटेंट नाम से बेची जाने वाली दवा चार या उससे कई गुना अधिक मूल्य तक की हो सकती है, जबकी जेनरिक नाम से बेची जाने वाली दवा पर भी प्रिंट रेट अक्सर दो से चार गुना होता है।
1. थोक विक्रेताओं द्वारा रिटेलर या किसी चिकित्सालय स्टोर को प्रिंट रेट से काफी कम में ही दवाइयां बेची जातीं हें। यही कारण है कि आजकल लगभग हर नर्सिंग होम/ चिकित्सालय या चिकित्सक ने अपना अलग मेडिकल स्टोर खोला हुआ है, और चिकित्सक वे नाम ही प्रेस्क्राइब करते हैं, जो उनके यहाँ पर ही मिलती हैं.

तपेदिक या टी.बी. में रोगी को टी.बी.होने पर हल्का बुखार रहना, धीरे-धीरे वजन कम होना, कमजोरी लगना, खाँसी, कभी-कभी मुँह से खून गिरना, हड्डी और आँतों की टी.बी., आँतों में सुजन, यूरिन में जलन आदि होता है. इसका उपचार इस तरह का होता है -
1. HSL कम्पनी की होम्योकाम्ब नं. 30 की दो गोली दिन में तीन से चार बार तक तीन माह तक तक ले,
2. साथ ही इसी कम्पनी की DROX 28 की 10 बूँद दिन में दो से तीन बार खाने के बाद लें. इसे हर माह में एक हफ्ते के लिए ही लें और सिर्फ तीन माह तक ही दें.
3. इसके साथ ही बायो काम्ब न. 32 की 6 गोली दिन में 4 बार चूंस लेना चाहिये.
4. हर माह एक बार ट्यूबरकुलाईनम 200 या 1M का एक डोज ले. जिस दिन यह दवा लें, उस दिन और कोई दवा न लें. इसे भी सिर्फ तीन बार तीन माह में ही लें.
5. आर्सेनिक आयोडाइड 6 को दिन में तीन बार हर माह में एक हफ्ते के लिए ही लें. इसे भी सिर्फ तीन माह तक ही लें.
बच्चों में यह प्राइमरी काम्प्लेक्स या बच्चों की टी.बी. के रूप में होता है. एलोपैथी में बच्चों के डॉक्टर के अनुसार अधिकाँश बच्चों को प्राइमरी काम्प्लेक्स या बच्चों की टी.बी. हो जाती है और इसमें उन्हें 9 माह से 15 माह तक दवा दी जाती है. बच्चों की टी.बी. के उपचार के लिए दवा को निम्नानुसार लेना उचित होगा –
1. आप HSL कम्पनी की होम्योकाम्ब नं. 30 की एक गोली दिन में तीन से चार बार तक तक दें.
2. इसके साथ ही बायो काम्ब न. 32 की 4 गोली दिन में 4 बार चूंसने देना चाहिये.
3. इन दोनों दवा को दो से तीन माह तक दें.
• शरीर की ओवरहालिंग और रिचार्जिंग –
हमेशा स्वस्थ रहने के लिए कोई भी व्यक्ति या परिवार अगर निम्न उपचार द्वारा अपने शरीर की ओवरहालिंग और रिचार्जिंग करता है और खान-पान तथा एक्सरसाइज भी निम्न अनुसार लेता है, तो उसे कभी भी कैंसर, डायबटीज, ह्रदय रोग, लिवर रोग, किडनी फेल्यर, टी.बी., फेफड़े के रोग, चर्म रोग आदि कोई भी गंभीर बीमारी नहीं होगी और वह आजीवन सपरिवार स्वस्थ, प्रसन्न और खुशहाल रह सकेगा -
1. सबसे पहले आप सुबह 7 बजे कुल्ला करके सल्फर 200 को, फिर दोपहर को आर्निका 200 और रात्रि को खाने के एक से दो घंटे बाद या नौ बजे नक्स वोम 200 की पांच-पांच बूँद आधा कप पानी से एक हफ्ते तक ले, फिर हर तीन से छह माह में तीन दिन तक लें.
2. इन दवाइयों को लेने के एक हफ्ते बाद हर 15-15 दिन में सोरिनम 200 का मात्र एक-एक पांच बूँद का डोज चार बार तक ले, ताकि आपके शरीर के अंदर जमा दवाई और दूसरे अन्य केमिकल और पेस्टीसाइड के विकार दूर हो सकें और आपके शरीर के सभी ह्रदय, फेफड़े, लीवर, किडनी आदि मुख्य अंग सुचारू रूप से कार्य कर सकेंगे. बच्चों और ज्यादा वृद्धों में ये सभी दवा 30 की पावर में दें.
3. अगर कब्ज रहता हो, तो होम्योलेक्स या HSL कम्पनी की होम्योकाम्ब नं. 67 की एक या आधी गोली रोज रात एक सफ्ताह तक 9.30 बजे लें. इसके बाद हर व्यक्ति को चाहिए कि वह इसे हर हफ्ते एक या आधी गोली रात्रि 9.30 बजे ले.
4. आप सुबह दो से चार गिलास कुनकुना पानी पीकर 5 मिनिट तक कौआ चाल (योग क्रिया) करें.
5. साथ ही पांच या अधिक से अधिक दस बार तक सूर्य नमस्कार करें. फिर 200 से 500 बार तक कपाल-भांति करें. इसके बाद प्राणायाम करें.
6. रोज सुबह और रात को 15-15 मिनिट का शवासन भी करें.
7. फिर एक घंटे बाद अगर सूट करे, तो कम से कम एक माह तक नारियल पानी लें. या फिर इसे दोपहर चार बजे भी ले सकते हैं.
8. सुबह और शाम को अगर संभव हो, तो एक घंटा अवश्य घूमें.
9. रात को सोते समय अष्टावक्र गीता में बताये अनुसार दो मिनिट के लिए “मैं स्वयं ही तीन लोक का चैतन्य सम्राट हूँ” ऐसा जाप करें.
10. उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के चार्ज किये और मिलाकर बने चुम्बकित जल को लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में रोज दिन में 3 बार उपयोग करें.
11. रोज सुबह उच्च शक्ति चुम्बकों को हथेलियों पर 15 मिनिट से आधे घंटे के लिए लगायें और रात्रि को खाने के दो घंटे बाद पैर के तलुवों पर 15 मिनिट से आधे घंटे के लिए दक्षिणी चुम्बक को बायीं ओर और उत्तरी चुम्बक को दाहिनी ओर लगाये.
12. गेंहू, जौ, देसी चना और सोयाबीन को सम भाग मिलाकर पिसवा ले और उसकी रोटी सादे मसाले की रेशेदार सब्जी से खाएं. दाल का प्रयोग कम कर दें.
13. बारीक आटे व मैदे से बनी वस्तुएं, तली वस्तुएं एव गरिष्ठ भोजन का त्याग करे।
14. सुबह-शाम चाय के स्थान पर नीबू का रस गरम पानी में मिला कर पिएं।
15. खाने में सिर्फ सेंधे नमक का प्रयोग करें.
16. रात को सोने से पहले पेट को ठण्डक पहुँचायें। इसके लिए खाने के चार घंटे बाद एक नेपकिन को सामान्य ठन्डे पानी से गीली करके पेट पर रखें और हर दो मिनिट में पलटते रहें. 15 मिनिट से 20 मिनिट तक इसे करें.
17. मैथी दाना 250 ग्राम, अजबाइन 100 ग्राम और काली जीरी 50 ग्राम को पीस कर इस चूर्ण को कुनकुने पानी से रात्रि 9.30 बजे एक चम्मच लें.
18. रात्रि को खाना और जमीकंद खाना, शराब पीना व धूम्रपान अगर करते हों या तम्बाखू खाते हों, तो इन्हें बंद करें. शाकाहारी भोजन ही लें.
19. अपने शरीर की सालाना ओवरहालिंग के लिए साल में एक बार अपने आसपास के किसी भी प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में जाकर वहां का दस दिन का कोर्स करें.
20. अपने घर के बुजुर्ग लोगों की रोज एक घंटे के लिये सेवा और मदद करें.
21. अपने आसपास की झोपड़पट्टी में रहने वाले किसी गरीब व्यक्ति की हर हफ्ते जाकर मदद करें.
22. अध्यात्मिक कैप्सूल के रूप में मेरी पुस्तक मुक्तियाँ की एक-एक मुक्ति तीन माह तक रोज पढ़ें. इससे आपकी नेगेटिव एनर्जी कम होगी और पॉजिटिव एनर्जी बहुत तेजी से बढेगी.
23. मेरी स्वस्थ रहे, स्वस्थ करें, मुक्तियाँ और अन्य कई पुस्तकों को मेरे Samadhan समाधान ग्रुप से निशुल्क डाउन लोड करें. आप चाहे तो अपना email address मेरे मेसेज बाक्स में दे दे, तो मैं आपको डायरेक्ट मेल कर दूंगा.
24. होम्योकाम्ब और बायोकाम्ब नम्बर से मिलती हैं. इनके नम्बर ध्यान से लिखें. साथ ही होम्योकाम्ब और बायोकाम्ब में कन्फ्यूज न हों. इन्हें साफ़-साफ़ लिखें.
25. किसी भी गंभीर मरीज को किसी विशेषज्ञ डॉक्टर को तत्काल दिखायें.
26. होम्योपैथी की दवाइयों को मुंह साफ़ करके कुल्ला करके लेना चाहिए. इनको लेते समय किसी भी तरह की सुगन्धित चीजों और प्याज, लहसुन, काफी, हींग और मांसाहार आदि से बचे और दवा लेने के आधा घंटा पहले और बाद में कुछ न लें.
27. हर दिन नई एलोपथिक दवाइयां बन रही हैं और अधिकांश पुरानी दवाइयों के घातक और खतरनाक परिणामों के कारण इन्हें कुछ ही वर्षों में भारत को छोड़ कर विश्व के कई देशों में बेन भी किया जा रहा है.
28. हमें भी चाहिये कि हम मात्र एलोपथिक दवाइयों पर ही निर्भर न रहकर योगासन, सूर्य किरण भोजन, अमृत-जल या सूर्य किरण जल चिकित्सा, एक्यूप्रेशर, बायोकेमिक दवाइयाँ आदि निर्दोष प्रणालियों को अपना कर खुद और अपने परिवार को सुरक्षित करें.
29. इस तरह दवा मुक्त विश्व का निर्माण करना ही हमारा एकमात्र उद्देश्य है और इसके लिए आप सभी का सहयोग चाहिये, जो आप मेरे इन सन्देशों को दूर-दूर तक फैला कर मुझे दे सकते हैं.
30. मेरी सभी स्वास्थ्य सम्बन्धी, लोक कल्याण, मानवाधिकार और आध्यात्मिक पोस्ट और पुस्तकों को देखने और उन्हें डाउनलोड करने के लिए आप मेरे ग्रुप “HEALTH CARE स्वस्थ रहो, स्वस्थ करो” और “Samadhan समाधान” से जुड़ सकते हैं और अपने दोस्तों को भी जोड़ सकते हैं.
31. मेरे नये आध्यात्मिक ग्रुप “कहान गुरु आस्था परिवार Kahan Guru Aastha Parivar” में आप सभी का स्वागत है. अतः मेरे इस इस शाश्वत कल्याणकारी ग्रुप से खुद भी जुड़े और अपने संगी-साथी को भी जोड़कर उनका भी अपने निज-परमात्मा के चैतन्य-चमत्कार से परिचय करवाएं.