जब स्वामी विवेकानंद विदेश गए…….. तो उनकी भगवा वस्त्र
और पगड़ी देख कर लोगों ने पूछा: “आपका बाकी सामान
कहाँ है ??”
स्वामी जी बोले…. “बस यही सामान है“….
तो कुछ लोगों ने व्यंग किया कि……. “अरे! यह
कैसी संस्कृति है आपकी?
तन पर केवल एक भगवा चादर लपेट रखी है…….कोट –
पतलून जैसा कुछ भी पहनावा नहीं है ??”
स्वामी विवेकानंद मुस्कुराए ओर बोले::
“हमारी संस्कृति आपकी संस्कृति से भिन्न है….
आपकी संस्कृति का निर्माण आपके दर्जी करते हैं……
जबकि हमारी संस्कृति का निर्माण हमारा चरित्र करता है।
॥ संस्कृति वस्त्रों में नहीं, चरित्र के विकास में है ॥
और पगड़ी देख कर लोगों ने पूछा: “आपका बाकी सामान
कहाँ है ??”
स्वामी जी बोले…. “बस यही सामान है“….
तो कुछ लोगों ने व्यंग किया कि……. “अरे! यह
कैसी संस्कृति है आपकी?
तन पर केवल एक भगवा चादर लपेट रखी है…….कोट –
पतलून जैसा कुछ भी पहनावा नहीं है ??”
स्वामी विवेकानंद मुस्कुराए ओर बोले::
“हमारी संस्कृति आपकी संस्कृति से भिन्न है….
आपकी संस्कृति का निर्माण आपके दर्जी करते हैं……
जबकि हमारी संस्कृति का निर्माण हमारा चरित्र करता है।
॥ संस्कृति वस्त्रों में नहीं, चरित्र के विकास में है ॥
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