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अकबर की आँखे शर्म से झुक गई

सम्राट अकबर गया था शिकार को 'शाम
 हो गई ;नमाज का वक्त हो गया वो नमाज पढने
 लगा ,तभी एक स्त्री वहा से भागती हुई सम्राट
 को धक्का देती आगे निकली अकबर गिर
 गया लेकिन नमाज में बोले कैसे क्रोध तो बहुत
 आया ! एक तो कोई नमाज पढ़ रहा है उसके साथ
 ऐसा व्यवहार ! जल्दी जल्दी उसने नमाज
 पूरी की और उस स्त्री का पीछा ही करने
 की सोचता है ;लेकिन वो स्त्री खुद ही वापस
 लौट रही थी ; अकबर ने कहा पागल होश में है? मै
 नमाज पढ़ रहा था तूने मुझे धक्का दिया!
 इतना तो ख़याल होना चाहिए फ़क़ीर हो या गरीब
 कोई भी नमाज पढ़े तो सम्मान होना चाहिए ! प्रभु
 की प्रार्थना में जो लींन है उसके साथ
 एसा दुरव्यवहार ? मै सम्राट हूँ क्या ये
 भी दिखाई न पड़ा ' उस स्त्री ने झुक कर प्रणाम
 किया और कहा - मुझे माफ़ करे भूल हो गई
 क्यूँकि मेरा प्रेमी आज आने वाला था ,मै राह पर
 गांव के बाहर उसके स्वागत को गई थी !मुझे याद
 नही आपको कब धक्का लगा ,मुझे याद
 भी नही आप कब बीच में आये ! लेकिन सम्राट
 एक बात मुझे भी पुछनी है,मै साधारण प्रेमी से
 मिलने जा रही थी और ऐसी मगन थी मुझे आप
 दिखाई न पड़े और आप परमात्मा सेमिलने बैठे थे
 आपको मेरा धक्का मालूम हुआ ?
 मै आपको दिखाई
 पड़ी ? अकबर की आँखे शर्म से झुक गई