एक बार एक व्यापारी अपने ग्राहक को शहद बेच रहा था ! तभी अचानक

एक बार एक व्यापारी अपने ग्राहक को शहद बेच
 रहा था ! तभी अचानक
 व्यापारी के हाथ से फिसलकर शहद का बर्तन गिर
 गया ! बहुत सा
 शहद भूमि पर बिखर गया ! जितना शहद ऊपर -
 ऊपर से उठाया
 जा सकता था उतना व्यापारी ने उठा लिया !परन्तु
 कुछ शहद फिर भी
 ज़मीन पर गिरा रह गया !
 कुछ ही देर में बहुत सी माखियाँ उस ज़मीन पर गिरे
 है शहद
 पर आकर बैठ गयी ! मीठा -मीठा शहद उन्हे
 बड़ा अच्छा लगा ! वह
 जल्दी -जल्दी उससे चाटने लगी ! जब तक
 उनका पेट भर नहीं गया वह शहद चाटती रहीं !
 जब माखियो का पेट भर गया और उन्होने
 उड़ना चाह ,तो वह उड़ न सकी ! क्योंकि उनके
 पंख शहद में चिपक गए थे ! वह
 जितना छात्पटती उनके पंख उतने चिपकते जाते .
 उनके सारे शरीर में शहद लगता जाता !
 काफी माखियाँ शहद में लोटपोट हो कर मर गयी !
 बहुत सी माखियाँ पंख चिपकने से झात्पटती रही .
 परन्तु तब भी नयी माखियाँ शहद के लालच में
 वहां आती रहीं ! मरी और झात्पटती हुई
 माक्यियों को देख कर भी वह शहद खाने
 का लालच नहीं छोड़ पाई !
 माखियों की दूर्गात्ति और मूर्खता देख कर
 व्यापारी बोला - जो लोग जीभ के स्वाद नें पड़
 जाते है , वह उन माखियों के सामान ही मूरख होते
 हैं ! स्वाद के थोड़ी देर के सुख उठाने के लालच
 में वह अपने स्वास्थ्य को नष्ट कर देते हैं !
 रोगी बनकर तडपते हैं और जल्द ही मर जाते
 हैं !!!!!

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