अपनी नन्ही सी बेटी की भूख शांत करने एक दिन एक ...

अपनी नन्ही सी बेटी की भूख शांत  करने एक दिन एक बेहद ग़रीब आदमी ने एक दुकान से पाव रोटी चुराई और झट से उसे लेकर एक तरफ मूड गया ताकि उसे कोई देख न ले ।

लेकिन दुकान में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ था इसलिए दुकान मालिक ने उसे देख लिया औऱ जाते जाते उसे पकड़ लिया गया। 

लेकिन उस गरीब आदमी के साथ उसकी बेटी भी थी।दुकान के ठीक बाहर खड़ी उसकी बेटी को जब कुछ शक हुआ तो उसने अपने पिताजी से पूछा...क्या हुआ पापा ??

नन्ही बेटी को अपनी तरफ़ आते देख बाप बेहद परेशान हो जाता है और जल्दी ही दुकान मालिक से हाथ जोड़कर माफ़ी माँगने के लिए अपने होंठ हिलाता है।

जब तक दुकान मालिक पूरे माजरा को समझता है , तब तक उसकी नन्ही बेटी उसके पास आ जाती है ।

उसके बाद दुकान मालिक उसकी नन्ही बेटी के सिर पर बड़े प्रेम से अपना हाथ फेरते हुए कहता है... " बेटी, तेरा बाप जल्दीबाजी में अपना बचा हुआ पैसा लेना भूल गया था ,.....बस औऱ कुछ नहीं " ।

इसके साथ ही दुकान मालिक कुछ पैसे गिनता है और उसे पकड़ा देता है…।

दुकान से बाहर निकलते समय बाप अफसोस और बेबसी से शर्मसार दिखाई देता हैं ।

तभी दुकान से *दूसरा आदमी* जोर से आवाज़ देकर कहता है " भाई , अपना ये चावल का थैला भी भूल गए हो , इसे भी लेते जाओ । "

गरीब आदमी मुड़कर वापस आता है औऱ बड़े कृतज्ञता के भाव से दुकान मालिक की तरह देखते हुए चावल का थैला भी लेकर चला जाता है .

याद रखें दोस्तों......इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है। 
आपको जो संतुष्टि का एहसास होगा उसे शब्दों में बयाँ करना मुमकिन नही हैं।आप भी जरुरतमद की भलाई के लिए ऐसे काम जरूर करें व किसी का सहारा बने। जिससे आप भी बहुत खुश रहेंगे और सब की दुआएं भी आपको मिलती रहेंगी।
गुरुवर कहते अगर हम जरूरतमंद लोगों का पर्दा रखते हुए उनकी मदद करते हैं तो ऊपरवाला भी इसी तरह हमारी मदद करता है ।
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इस संसार में जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है- खाना! हमारे देश में बहुत से लोग है, जो भूखे पेट सोने को मजबूर हो जाते हैं। दुख का विषय है कि स्वतंत्रता के 76 वर्ष बीतने के बाद भी हमारे भारत देश में 19 करोड़ लोग प्रतिदिन भूखे पेट सो जाते हैं ।
हर व्यक्ति समाज का हिस्सा है और समाज में हर व्यक्ति की अपनी-अपनी भूमिका होती है। गरीब और असहाय व्यक्ति भी समाज का ही हिस्सा है, लेकिन समाज के सिस्टम के कारण वह सुख सुविधाओं से दूर हो जाता है। 

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