एक राजा था बहुत ही इमानदार ,किन्तु उसके राज्य में हर तरफ अशांति थी।
राजा बहुत परेशान।
उसने घोषणा करवाई कि जो मेरे राज्य को सही कर देगा उसे पांच लाख का इनाम दूंगा।
सभी मंत्रियों ने कहा कि यह राशी बहुत कम है।
राजा ने फिर घोषणा करवादी कि वह अपना आधा राज्य दे देगा। लेकिन कोई भी उसके राज्य को ठीक करने के लिए आगे नही आया।
कुछ दिनों बाद एक सन्यासी आया और बोला- महाराज मै आपका राज्य ठीक कर दूंगा और मुझे पैसा भी नही चाहिए और आपका राज्य भी नही चाहिए। पर आपको मेरी एक शर्त माननी होगी कि किसी भी शिकायत पर मै जो फैसला करूंगा आपको वो मानना होगा।
राजा ने शर्त मान ली।
अब सन्यासी ने राजा से कहलवाकर राज्य भर से शिकायत मंगवाई।
राजा के पास टोकरे के टोकरे भर भर कर शिकायत आने लगी। जब शिकायत आनी बंद हो गयी तो सन्यासी ने राजा को किसी एक पर्ची को उठाने को कहा।
जब राजा ने एक पर्ची उठा कर उसकी शिकायत पढ़ी तो वह सन्न रह गया।
उसमे लिखा था - मै एक गरीब किसान हूँ और राजा का लड़का मेरी लडकी को छेड़ता है, अब मै किसके पास शिकायत लेकर जाऊ।
यह सुनकर उस सन्यासी ने कहा- राजा तू अपने लडके को कल jail me dal doo .
राजा के यह सुनकर आशू आ गये क्योकि वह उसका इकलोता लड़का था और ऐसा करने से मना किया।
सन्यासी ने राजा को कहा कि तुमने मुझे कहा था कि तुम मेरी शर्त मानोगे।
फिर राजा ने वैसा ही किया और दूसरे दिन अपने बेटे को jail me daal diya
इसके बाद राजा ने सन्यासी से कहा कि क्या दूसरी पर्ची उठाऊ?
सन्यासी ने कहा- राजन अब किसी पर्ची को उठाने की जरूरत नही । इन सब में अब तुम आग लगा दो।
जिस देश का राजा एक शिकायत मिलने पर अपने बेटे को jail me daal sakta hai उस देश में कोई भी अब अपराध करने का साहस नही कर सकता।
और सच में उस राजा का राज्य बिलकुल सही हो गया।
किसी ने सच ही कहा है जिस देश का राजा जैसा होता है, उस देश की प्रजा भी वैसी ही हो जाती है।
राजा बहुत परेशान।
उसने घोषणा करवाई कि जो मेरे राज्य को सही कर देगा उसे पांच लाख का इनाम दूंगा।
सभी मंत्रियों ने कहा कि यह राशी बहुत कम है।
राजा ने फिर घोषणा करवादी कि वह अपना आधा राज्य दे देगा। लेकिन कोई भी उसके राज्य को ठीक करने के लिए आगे नही आया।
कुछ दिनों बाद एक सन्यासी आया और बोला- महाराज मै आपका राज्य ठीक कर दूंगा और मुझे पैसा भी नही चाहिए और आपका राज्य भी नही चाहिए। पर आपको मेरी एक शर्त माननी होगी कि किसी भी शिकायत पर मै जो फैसला करूंगा आपको वो मानना होगा।
राजा ने शर्त मान ली।
अब सन्यासी ने राजा से कहलवाकर राज्य भर से शिकायत मंगवाई।
राजा के पास टोकरे के टोकरे भर भर कर शिकायत आने लगी। जब शिकायत आनी बंद हो गयी तो सन्यासी ने राजा को किसी एक पर्ची को उठाने को कहा।
जब राजा ने एक पर्ची उठा कर उसकी शिकायत पढ़ी तो वह सन्न रह गया।
उसमे लिखा था - मै एक गरीब किसान हूँ और राजा का लड़का मेरी लडकी को छेड़ता है, अब मै किसके पास शिकायत लेकर जाऊ।
यह सुनकर उस सन्यासी ने कहा- राजा तू अपने लडके को कल jail me dal doo .
राजा के यह सुनकर आशू आ गये क्योकि वह उसका इकलोता लड़का था और ऐसा करने से मना किया।
सन्यासी ने राजा को कहा कि तुमने मुझे कहा था कि तुम मेरी शर्त मानोगे।
फिर राजा ने वैसा ही किया और दूसरे दिन अपने बेटे को jail me daal diya
इसके बाद राजा ने सन्यासी से कहा कि क्या दूसरी पर्ची उठाऊ?
सन्यासी ने कहा- राजन अब किसी पर्ची को उठाने की जरूरत नही । इन सब में अब तुम आग लगा दो।
जिस देश का राजा एक शिकायत मिलने पर अपने बेटे को jail me daal sakta hai उस देश में कोई भी अब अपराध करने का साहस नही कर सकता।
और सच में उस राजा का राज्य बिलकुल सही हो गया।
किसी ने सच ही कहा है जिस देश का राजा जैसा होता है, उस देश की प्रजा भी वैसी ही हो जाती है।
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