एक हिरनी को नदी किनारे पानी पीते देख बहेलिये ने तीर चलाने की सोची। परन्तु

एक हिरनी को नदी किनारे पानी पीते देख बहेलिये ने तीर चलाने की सोची। परन्तु हिरनी बोल पड़ी, "ठहरो, तुम मुझे मारकर खा लेना पर पहले मुझे अपने बच्चों को प्यार कर उन्हें अपने पति के पास पहुँचा आने दो।"
 कुछ सोचकर बहेलिये ने हिरनी की बात मान ली। हिरनी ख़ुश होकर अपने बच्चों के पास आई, उन्हें प्यार किया और फिर पति को सारा क़िस्सा सुनाया। हिरन ने कहा, "तुम बच्चों को लेकर घर जावो और मैं बहेलिये के पास जाता हूँ।" हिरनी ने कहा, "यह कैसे हो सकता है? वचन में मैं बँधी हूँ, तुम नहीं।" यह सुन बच्चे बोले, "हम अकेले कहाँ रहेंगे।" अतः चारों बहेलिये के पास पहुँचे। उन सब को देख बहेलिये ने सोचा कि उसके हाथ लाटरी लग गई है।

 उधर हिरनी की बातें सियार ने सुन लीं थी। वह दौड़कर शेर के पास गया और सारा क़िस्सा बताकर बोला, "हज़ूर, आपका अन्न भंडार लूटा जा रहा है। चलिये, जल्दी कुछ करिये।"

 अतः जैसे ही बहेलिया हिरणों पर तीर चलाने को हुआ तो पीछे से झपटकर शेर ने उसे दबोच लिया। हिरनी अपने परिवार सहित जंगल में भाग खड़ी हुई।

 यह कथा वचन निभाने के महत्व को रेखांकित तो करती ही है पर यह भी बताती है कि सुजनों की रक्षा के लिये ईश्वर कभी-कभी दुर्जनों का भी उपयोग करते हैं। इसलिये सक्षम होकर भी ईश्वर दुर्जनों का संपूर्ण नाश नहीं करते।

एक साधु बहुत बूढ़े हो गए थे। उनके जीवन का आखिरी

एक साधु बहुत बूढ़े हो गए थे। उनके जीवन का आखिरी क्षण आ पहुँचा। आखिरी क्षणों में उन्होंने अपने शिष्यों और चेलों को पास बुलाया। जब सब उनके पास आ गए, तब उन्होंने अपना पोपला मुँह पूरा खोल दिया और शिष्यों से बोले-'देखो, मेरे मुँह में कितने दाँत बच गए हैं?' शिष्यों ने उनके मुँह की ओर देखा।

 कुछ टटोलते हुए वे लगभग एक स्वर में बोल उठे-'महाराज आपका तो एक भीदाँत शेष नहीं बचा। शायद कई वर्षों से आपका एक भी दाँत नहीं है।' साधु बोले-'देखो, मेरी जीभ तो बची हुई है।'

 सबने उत्तर दिया-'हाँ, आपकी जीभ अवश्य बची हुई है।' इस पर सबने कहा-'पर यह हुआ कैसे?' मेरे जन्म के समय जीभ थी और आज मैं यह चोला छोड़ रहा हूँ तो भी यह जीभ बची हुईहै। ये दाँत पीछे पैदा हुए, ये जीभसे पहले कैसे विदा हो गए? इसका क्या कारण है, कभी सोचा?'

 शिष्यों ने उत्तर दिया-'हमें मालूम नहीं। महाराज, आप ही बतलाइए।'

 उस समय मृदु आवाज में संत ने समझाया- 'यही रहस्य बताने के लिए मैंने तुम सबको इस बेला में बुलाया है। इस जीभ में माधुर्य था, मृदुता थी और खुद भी कोमल थी, इसलिए वह आज भी मेरे पास है परंतु.......मेरे दाँतों में शुरू से ही कठोरता थी, इसलिए वे पीछे आकर भी पहले खत्म हो गए, अपनी कठोरता के कारण ही ये दीर्घजीवी नहीं हो सके।

 दीर्घजीवी होना चाहते हो तो कठोरता छोड़ो और विनम्रता सीखो।'

समय बदल रहा है लोग बदल रहे है अब देश भी बदलेगा .

आज सब्जी खरीदने बाजार गया था .... वहां पर एक सज्जन ने एक सब्जी वाले के तराजू पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए .., उसे चोर घोषित कर दिया सब्जी वाले ने प्रतिउत्तर में तराजू का सही माप दिखाकर अपनी विश्वसनीयता साबित की और अंत में कहा :-

 "साहब अगर इस तरह पाई पाई का हिसाब कभी हमारे देश के नेताओं से मांग लिया होता .... तो आज आपको मुझ पर शक करने की जरुरत ही ना होती"

 वो सज्जन शांत और आवाक!!! एक सब्जी वाले के मुंह से ऐसी जागरूकता भरी बाते सुनकर शायद उन्हें अपने पाई पाई का हिसाब याद आ गया ...!!

 समय बदल रहा है लोग बदल रहे है अब देश भी बदलेगा ...!

अपनी सोच हमेशा ऊँची रखें... दूसरों की अपेक्षाओं से

एक आदमी ने देखा कि एक गरीब बच्चा उसकी कीमती कार को बड़े गौर से निहार रहा है। आदमी ने उस लड़के को कार में बिठा लिया।

 लड़के ने कहा:- आपकी कार बहुत अच्छी है, बहुत कीमती होगी ना?
 आदमी:- हाँ, मेरे भाई ने मुझे गिफ्ट दी है।

 लड़का (कुछ सोचते हुए):- वाह ! आपके भाई कितने अच्छे हैं।
 आदमी:- मुझे पता है तुम क्या सोच रहे हो.. तुम भी ऐंसी कार चाहते हो ना?

 लड़का:- नहीं! मैं आपके भाई की तरह बनना चाहता हूँ।

 "अपनी सोच हमेशा ऊँची रखें... दूसरों की अपेक्षाओं से कहीं ज्यादा ऊँची"

51 वर्ष की आयु में अमेरिका के राष्ट्रपति बनने वाले अब्राहम लिंकन जब 22 वर्ष के थे

51 वर्ष की आयु में अमेरिका के राष्ट्रपति बनने वाले अब्राहम लिंकन जब 22 वर्ष के थे तब उन्हें ब्यापार में भारी असफलता का मुह देखना पड़ा था और जब उनकी उम्र 23 वर्ष की थी राजनीती में कदम रखते हुए बिधायक हेतु चुनाव लड़ा और हार गए,
और जब उनकी उम्र 24 वर्ष की थी तब एक बार पुन: ब्यापार में असफल हो गए और जब उनकी उम्र 26 वर्ष की थी तब उनकी पत्नी का देहांत हो गया अर्थात गृहस्थ जीवन की एक बड़ीहार थी लिंकन के लिए, और जब अब्राहम लिंकन की उम्र 27 वर्ष की थी तब उनका नर्वस ब्रेक डाउन हो गया
एक बार फिर लिंकन को स्वाथ्य धोखा दे गया था तब भी लिंकन ने स्वयं को टूटने नहीं दिया और जब उनकी उम्र 29 वर्ष की थी तब एक बार फिर उन्हें असफलता का स्वाद चखना पड़ा इस बार लिंकन स्पीकर का चुनाव हार गए थे और जब उनकी उम्र 31 वर्ष की थी तब एक और हार उनकी झोली मे आई इस बार लिंकन इलेक्टर का चुनाव हारे थे, लेकिन लिंकन ने स्वयं कभी हार नहीं मानी और एक बार लिंकन फिर चुनाव मैदान में थे और एक बार फिर हार का सामना उन्हें करना पड़ा इस बार
लिंकन अमेरिकी कांग्रेस का चुनाव हार गए ,
इतना ही नहीं एक बार फिर लिंकन अमेरिकी कांग्रेस का चुनाव हार गए
इस बार उनकी उम्र थी 39 वर्ष ,
और जब लिंकन की उम्र 46 वर्ष कि थी
तब एक बार फिर असफलता ने उन्हें तोडने का असफल प्रयास किया
और लिंकन सीनेट का चुनाव हार गए
लेकिन लिंकन नहीं टूटे,
क्योंकि एक और हार लिंकन के खाते में आनी बांकी थी तब उनकी उम्र थी 47 वर्ष और उपराष्ट्रपति के चुनाव में एक और हार ।
कर्मठ एवं द्रढ़ इच्छाशक्ति के धनी अब्राहम लिंकनने इतनी हारों के बावजूद भी कभी हार नहीं मानी तभी तो 51 वर्ष की आयु में अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए ।
 "जो हिम्मत नहीं हारता वह सैकड़ों बार हारकर भी नहीं हारता ।"

अकबर की आँखे शर्म से झुक गई

सम्राट अकबर गया था शिकार को 'शाम
 हो गई ;नमाज का वक्त हो गया वो नमाज पढने
 लगा ,तभी एक स्त्री वहा से भागती हुई सम्राट
 को धक्का देती आगे निकली अकबर गिर
 गया लेकिन नमाज में बोले कैसे क्रोध तो बहुत
 आया ! एक तो कोई नमाज पढ़ रहा है उसके साथ
 ऐसा व्यवहार ! जल्दी जल्दी उसने नमाज
 पूरी की और उस स्त्री का पीछा ही करने
 की सोचता है ;लेकिन वो स्त्री खुद ही वापस
 लौट रही थी ; अकबर ने कहा पागल होश में है? मै
 नमाज पढ़ रहा था तूने मुझे धक्का दिया!
 इतना तो ख़याल होना चाहिए फ़क़ीर हो या गरीब
 कोई भी नमाज पढ़े तो सम्मान होना चाहिए ! प्रभु
 की प्रार्थना में जो लींन है उसके साथ
 एसा दुरव्यवहार ? मै सम्राट हूँ क्या ये
 भी दिखाई न पड़ा ' उस स्त्री ने झुक कर प्रणाम
 किया और कहा - मुझे माफ़ करे भूल हो गई
 क्यूँकि मेरा प्रेमी आज आने वाला था ,मै राह पर
 गांव के बाहर उसके स्वागत को गई थी !मुझे याद
 नही आपको कब धक्का लगा ,मुझे याद
 भी नही आप कब बीच में आये ! लेकिन सम्राट
 एक बात मुझे भी पुछनी है,मै साधारण प्रेमी से
 मिलने जा रही थी और ऐसी मगन थी मुझे आप
 दिखाई न पड़े और आप परमात्मा सेमिलने बैठे थे
 आपको मेरा धक्का मालूम हुआ ?
 मै आपको दिखाई
 पड़ी ? अकबर की आँखे शर्म से झुक गई

मां अपने बच्चे को ढूंढ रही थी। बहुत देर तक जब वह नहीं मिला, तो

एक मां अपने बच्चे को ढूंढ रही थी। बहुत देर तक जब वह नहीं मिला, तो वह रोने लगी और जोर-जोर से बच्चे का नामलेकर पुकारने लगी। कुछ समय बाद बच्चा दौड़ता हुआ उसके पास आ पहुंचा। मां ने पहले तो उसे गले से लगाया, जी भर कर लाड़ किया, फिर उसे डांटने लगी। उससे पूछा कि इतनी देर तक वह कहां छुपा हुआ था।बच्चे ने बताया, 'मां! मैं छुपा हुआ नहीं था, मैं तो बाहर की दुकान से गोंद लेनेगया था। मां ने पूछा कि गोंद से क्या करना है, तो बच्चा भोलेपन से बोला, मैं उससे चाय की प्याली जोडूंगा। वह टूट गई है।
मां ने आगे पूछा, टूटी प्याली जोड़ कर क्या करोगे?वह तो बहुत खराब दिखेगी। तबबच्चे ने भोलेपन से कहा, जब तुम बूढ़ी हो जाओगी तो उसी कप में तुम्हें चाय पिलाया करूंगा। यह सुन कर मां पसीने-पसीने हो गई। कुछ पल तक तो उसे समझ ही नहीं आया कि वह क्या करे?
फिर होश संभालते ही उसने बच्चे को गोद में बिठाया औरप्यार से कहा, बेटा! ऐसी बातें नहीं करते। बड़ों का सम्मान करते हैं। उनसे ऐसा व्यवहार नहीं करते। देखो, तुम्हारे पापा कितनी मेहनत करते हैं ताकि तुम अच्छे स्कूल में जा सको। मम्मी तुम्हारे लिए तरह-तरह के भोजन बनाती है। सब लोग तुम्हारा ख्याल रखते हैं किताकि जब वे बूढ़े हो जाएं तो तुम उनका सहारा बनो........।
बच्चे ने मां की बात बीच में ही काटते हुए कहा, 'लेकिन मां! क्या दादा-दादी ने भी यही नहीं सोचा होगा, जब वे पापा को पढ़ाते होंगे? आज जब दादी से गलती से चाय का कप टूट गया तो तुमकितने जोर से चिल्लाई थीं। इतना गुस्सा किया था आपने कि दादा जी को आपसे दादी के लिए माफी मांगनी पड़ी। पता है मां, आप तो कमरे में जा कर सो गईं, लेकिन दादी बहुत देर तक रोती रहीं। मैंने वहकप संभाल कर रख लिया है, और अब मैं उसे जोड़ दूंगा।