भोजन करके खाइए, सौंफ, गुड, अजवान!

पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात!
सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात!!

धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार!
दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार!!

ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर!
कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर!!

प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप!
बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप!!

ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार!
करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार!!

भोजन करें धरती पर, अल्थी पल्थी मार!
चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार!!

प्रातः काल फल रस लो, दुपहर लस्सी-छांस!
सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश!!

प्रातः- दोपहर लीजिये, जब नियमित आहार! तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार!!

भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार!
डाक्टर, ओझा, वैद्य का , लुट जाए व्यापार !!

घूट-घूट पानी पियो, रह तनाव से दूर!
एसिडिटी, या मोटापा, होवें चकनाचूर!!

अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास!
पानी पीजै बैठकर, कभी न आवें पास!!

रक्तचाप बढने लगे, तब मत सोचो भाय!
सौगंध राम की खाइ के, तुरत छोड दो चाय!!

सुबह खाइये कुवंर-सा, दुपहर यथा नरेश!
भोजन लीजै रात में, जैसे रंक सुरेश!!

देर रात तक जागना, रोगों का जंजाल!
अपच,आंख के रोग सँग, तन भी रहे निढाल^^

दर्द, घाव, फोडा, चुभन, सूजन, चोट पिराइ!
बीस मिनट चुंबक धरौ, पिरवा जाइ हेराइ!!

सत्तर रोगों कोे करे, चूना हमसे दूर!
दूर करे ये बाझपन, सुस्ती अपच हुजूर!!

भोजन करके जोहिए, केवल घंटा डेढ!
पानी इसके बाद पी, ये औषधि का पेड!!

अलसी, तिल, नारियल, घी सरसों का तेल!
यही खाइए नहीं तो, हार्ट समझिए फेल!

पहला स्थान सेंधा नमक, पहाड़ी नमक सु जान!
श्वेत नमक है सागरी, ये है जहर समान!!

अल्यूमिन के पात्र का, करता है जो उपयोग!
आमंत्रित करता सदा, वह अडतालीस रोग!!

फल या मीठा खाइके, तुरत न पीजै नीर!
ये सब छोटी आंत में, बनते विषधर तीर!!

चोकर खाने से सदा, बढती तन की शक्ति!
गेहूँ मोटा पीसिए, दिल में बढे विरक्ति!!

रोज मुलहठी चूसिए, कफ बाहर आ जाय!
बने सुरीला कंठ भी, सबको लगत सुहाय!!

भोजन करके खाइए, सौंफ, गुड, अजवान!
पत्थर भी पच जायगा, जानै सकल जहान!!

लौकी का रस पीजिए, चोकर युक्त पिसान!
तुलसी, गुड, सेंधा नमक, हृदय रोग निदान!

चैत्र माह में नीम की, पत्ती हर दिन खावे !
ज्वर, डेंगू या मलेरिया, बारह मील भगावे !!

सौ वर्षों तक वह जिए, लेते नाक से सांस!
अल्पकाल जीवें, करें, मुंह से श्वासोच्छ्वास!!

सितम, गर्म जल से कभी, करिये मत स्नान!
घट जाता है आत्मबल, नैनन को नुकसान!!

हृदय रोग से आपको, बचना है श्रीमान!
सुरा, चाय या कोल्ड्रिंक, का मत करिए पान!!

अगर नहावें गरम जल, तन-मन हो कमजोर!
नयन ज्योति कमजोर हो, शक्ति घटे चहुंओर!!

तुलसी का पत्ता करें, यदि हरदम उपयोग!
मिट जाते हर उम्र में,तन में सारे रोग। 🌸

Steve Jobs inspirational quotes in Hindi

Quote 1: आओ, आने वाले कल में कुछ नया करते हैं बजाए कि इसकी चिंता करने के, कि कल क्‍या हुआ था।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 2: आज हम नए हैं, लेकिन कुछ दिन बीत जाने पर, हम भी पुराने हो जायेंगे और ये पूर्ण सत्य है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 3: आप Customer से यह नहीं पूछ सकते कि वो क्या चाहते हैं और फिर उन्हें वो चीज बना के दें, आप जब तक उसे बनायेंगे तब तक वो कुछ नया चाहने लगेंगे।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 4: आप जिस समस्या का हल चाहते हो और अगर उसका समाधान मिल गया हो, तब केवल समाधान बताना गलत है, उस समस्या को भी साथ में स्पष्ट करना जरूरी है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 5: आप द्वारा चयनित कार्य में ऐसा कुछ होना जरूरी है जिसके लिए आप में जूनून सवार हो अन्यथा आपमें उसे सिद्दत(पूर्ण लगन) से करने की दृढ़ता नही रहेगी।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 6: आपका कार्य जि़न्दगी के एक बड़े भाग को संतुष्ट करना है और संतुष्टि प्राप्त करने के लिए वो करें, जिसमें आप विश्वास करते हैं। महान कार्य करने का एक ही तरीका है, आप जो करते हैं उससे प्रेम करें। यदि आप जो करना चाहते हैं वो प्राप्त नहीं हुआ है तो उसे खोजिए। स्वयं को ठहरने मत दीजिए।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 7: आपके चारों ओर सब-कुछ जिसे आपसे कम होनहार लोगों ने बनाया है, आप इसको जीवन कहते हैं, आप इसे बदल सकते हैं, आप इसे प्रेरित कर सकते हैं, आप खुद चीजों का निर्माण कर सकते हैं, जिनका उपयोग दूसरें लोग कर सकते हैं।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 8: आपके पास सीमित समय (limited time) है तो इसको किसी अन्य की जिन्दगी जी-कर इसे बर्बाद मत करो। फालतू के विचारो में मत फसिये। हमारे विचार जो अन्य लोगो की सोच का परिणाम है, अपने भीतर की आवाज को औरो के शोरगुल में मत खोने दीजिये और सबसे महत्वपूर्ण है, अपने दिल ओर अंतर्ज्ञान के साहस का पालन करना।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 9: आपको अपनी सोच को साफ और सरल बनाने के लिए मेहनत करनी चाहिए। मेहनत से मिली ऐसी सोच परिणाम के लिए बड़ा मूल्य रखती है क्योंकि इसे पाकर आप पर्वत को भी हिला सकते हैं।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 10: आपको किसी चीज़ में विश्वास करना चाहिए। आपका साहस, संभावना, भाग्य, नसीब, जीवन, ऊर्जा या कर्म जिनमें भी आप चाहें। ये दृष्टिकोण आपको कभी गिरने नहीं देगा और जि़न्दगी में अनेंको विभिन्नतायें प्रदान करेगा।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 11: आपको जिन्दगी में बहुत सारी चीजें करने पड़ती हैं, फिर भी अभी-अभी हमने किसी कार्य को करने का मानस बनाया है, तो हमें उस कार्य को महान बनाना चाहिए।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 12: इकलौता तरीका महान कार्य करने का यह है कि आप कार्य से प्‍यार करें।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 13: इस बात को याद करना कि एक दिन मरना है। किसी चीज के खोने के डर को दूर करने का यह सबसे अच्‍छा तरीका है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 14: कई सालो तक दिलचस्प विचारो और नई प्रौघोगिकी की खोज करने के बाद, एक कम्पनी में परिवर्तित करने में सालो का समय लगता है, ये सारा करने में बहुत ज्यादा अनुशासन की जरुरत होती है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 15: कभी-कभी जिन्दगी आपके सिर को ईंट से भी मारती है। लेकिन ऐसे में भी अपने विश्वास को मत खोईए।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 16: किसी खास समुदाय को ध्यान में रखकर उत्पादों के डिजाइन करना बेहद मुश्किल होता है, क्यूंकि बहुत से लोग नहीं जानते कि वे क्या चाहते है जब तक आप उन्हें दिखायेंगे नहीं|
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 17: किसी चीज को महत्‍वपूर्ण होने के लिए दुनिया को बदलने की जरूरत नहीं है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 18: कोई Problem आने पर पूराने लोग पूंछते हैं यह क्‍या है? जबकि साहसी लड़के पूछते हैं हम इसके साथ क्‍या कर सकते हैं?
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 19: कोई भी मरना नहीं चाहता है। वे लोग जो स्वर्ग जाने की इच्छा रखते हैं, वो भी नहीं मरना चाहते हैं। लेकिन मौत से कभी कोई बच नहीं सका है। मृत्यु जिन्दगी का श्रेष्ठ अविष्कार है। ये जीवन को परिवर्तित करने का माध्यम है जो पुराने को मिटाकर नए की राह दिखता है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 20: कोई भी सफलता एक रात में नहीं मिलती है। उसके पीछे न जाने कितने वर्षों की कड़ी मेहनत होती है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 21: क्या नहीं करना चाहिए इसका निर्णय भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि यह निर्णय लेना, कि क्या करना है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 22: गुणवता में विश्वास कीजिए| कई कम्पनियों ने छंटनी का फैसला किया जो शायद उनके लिए सही हो लेकिन हमने अलग रह चुनी – हमारा विश्वास है कि अगर हम Customers के सामने बेहतरीन Products रखेंगे तो वे अपना पर्स खोलते रहेंगे|
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Quote 23: गुणवत्‍ता प्रचुरता से अधिक महत्‍वपूर्ण है। एक छक्‍का दो-दो रन बनाने से कही बेहतर है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 24: जब मैंने मौत को बहुत नजदीक से देखा, तब मौत भी लाभकारी थी।
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Quote 25: जो लोग इस बात को दीवानगी तक सोचते हैं कि वो दुनिया बदल सकते हैं वही दुनिया को बदलते हैं।
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Quote 26: ज्ञान के लिए हमेशा भूखे रहो, मूर्ख रहो।
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Quote 27: डायलन, पिकासो और न्यूटन जैसे महान कलाकारों ने विफलता का जोखिम उठाया। हम महान बनना चाहते हैं, तो हमें भी यह जोखिम तो उठाना ही पड़ेगा।
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Quote 28: डिजाइन बस यह नही है कि बस यह कैसा दिखता है और कैसा लगता है। डिजाइन का मतलब यह है कि यह काम कैसे करता है।
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Quote 29: दुनिया में सनकी, नालायक, विद्रोही, मुसीबत खड़ी करने वाले, स्थिति से बेमेल लोग हैं। जिनका नजरिया अलग होता है। ऐसे लोग चीजों को बदलते हैं। उन्होंने मानव सभ्यता को आगे बढाया है। कुछ लोग जिन्हें सनकी पागल समझते हैं, हमें वो बहुत प्रतिभावान लगेंगे।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 30: नवीनता ही मागदर्शक (Leader) और अनुयायियों (follower) में फर्क बताती है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 31: महान लोगों और उत्तम उत्पादों का अंत कभी नहीं होता है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 32: मुझे लगता है कि हम मजे कर रहे हैं। मुझे लगता है कि हमारे ग्राहकों को वास्‍तव में हमारे उत्‍पाद पसंद है और हम हमेंशा बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 33: मैं अपने जीवन को एक पेशा नहीं मानता। मैं कर्म में विश्वास रखता हूं। मैं परिस्थितियों से शिक्षा लेता हूं। यह पेशा या नौकरी नहीं है यह तो जीवन का सार है।
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Quote 34: मैं उच्च शिक्षा के मूल्य को खारिज नहीं कर रहा हूँ मैं बस यही कहना चाहता हूँ कि सृजनात्मकता अनुभव की कीमत पर आती है।
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Quote 35: मैं नकल कर उत्पाद (प्रोडक्ट) बनाने की बजाय अपने दृष्टिकोण के उत्पाद पर दाव लगाना ज्यादा पसंद करूँगा।
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Quote 36: मैं सहमत हूँ कि वो जि़द (हठ) ही है जो सफल उद्यमी और असफल लोगों को पृथक करती है।
Quote 37: मैं सोचता हूँ कि यदि आप कुछ कर रहे हैं और वो अच्छा हो जाता है तो आपको इस कार्य पर अधिक विचार करने की बजाए कुछ और आश्चर्यजनक करना चाहिए। अगले कार्य के लिए विचार कीजिए।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 38: यदि आप किसी चीज़ से प्रेम नहीं करते तो आप अतिरिक्त मील तक नहीं जायेंगे, सप्ताह के अंत में अतिरिक्त कार्य नहीं करेंगे और वर्तमान स्थिति को चुनौती नहीं देंगे।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 39: यदि आपकी नजर लाभ पर रहेगी तो आपका ध्‍यान उत्‍पाद की गुणवत्‍ता से हट जायेगा, लेकिन यदि आप एक अच्‍छा उत्‍पाद बनाने पर ध्‍यान लगाओगे तो लाभ अपने आप आपका अनुसरण करेगा।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 40: यदि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया लेकिन असफल हो गया तो भी अच्छा है। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तो दिया।
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Quote 41: ये मेरे मंत्रों में से एक है कि ध्यान केन्द्रित करो और सरल रहो। सरल भी जटिल से ज़्यादा दृढ़ हो सकता है।
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Quote 42: Creativity कुछ विचारों और चीज़ों का जोड़ना है। जब आप किसी रचनात्मक व्यक्ति से पूछेंगे कि उसने ये कैसे किया है तो वो स्वयं को दोषी महसूस करेगा, क्योंकि वो उसने वास्तव में किया ही नहीं है। उसने बस कुछ देखा और वो उसके समक्ष जाहिर हो गया।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 43: संसार आपको तभी पहचान सकेगा जब आप संसार को अपनी क्षमताओं से परिचय करायेंगे।
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Quote 44: सबसे महत्वपूर्ण, अपने दिल और अंतर्ज्ञान का उपयोग करने का साहस करो। वे किसी तरह पहले से ही जानते है की तुम सच में क्या बनना चाहते हो। बाकी सब गौण है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 45: समाधिस्थल में सबसे अमीर आदमी बनने से मुझे कोई मतलब नहीं है। मैं रात में अपने बिस्तर पर जाने से पहले ये कहूँ कि आज हमने कुछ आश्चर्यजनक किया है ये मेरे लिए महत्वपूर्ण है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 46: आप पहले से ही निर्वस्त्र हैं और कुछ खोने के लिए है ही नहीं। इसलिए ऐसी कोई भी वजह नहीं है कि आप अपने दिल की नहीं सुनें।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 47: हम यहाँ पर ब्रह्माण्‍ड में सेंध लगाने के लिए है अन्‍यथा हम यहाँ पर क्‍यों है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स

Quote 48: हर किसी के पास विवेक होता है और ये वर्तमान में उन क्षणों में से होता है जिससे हमारा भविष्य प्रभावित होता है।
Steve Jobs स्टीव जॉब्स


Note: सावधानी बरतने के बावजूद यदि ऊपर दिए गए किसी भी वाक्य या Quote में आपको कोई त्रुटि मिले तो कृपया क्षमा करें और comments के माध्यम से अवगत कराएं।
दोस्तों, ये “स्टीव जाब्स के अनमोल विचार और उनके जीवन की तीन कहानियाँ” POST आपको कैसे लगी, इस बारे में हमे अपने विचार नीचे comments के माध्यम से अवश्य दे। हमारी पोस्ट को E-mail से पाने के लिए आप हमारा फ्री ई-मेल सब्सक्रिप्शन प्राप्त कर सकते है।

टी.बी. के काल्पनिक मरीज न बने, न ही अपने बच्चों को बनाएं -

हमारे देश के डॉक्टर आज किसी भी मामले में किसी से भी पीछे नहीं है और उन्होंने लोगों की दुःख-बीमारी में उनके शोषण के नए-नए तरीके ईजाद कर लिए हैं. ड्रग ट्रायल, काल्पनिक बीमारियों का भय दिखाकर मरीजों और उनके परिवार का शोषण करना, जो बीमारी नहीं है, उसकी दवाई देना, जो तकलीफ नहीं है, उसका आपरेशन करना आदि, आदि.
इसी तरह जो डॉक्टर जांच करवा कर मरीजों को टी.बी. की बीमारी बता रहे हैं, वह वास्तव में कितनी सही है, यह भी किसी भी सर्वे के अनुसार निश्चित ही नहीं है और अगर फिर इस जांच के आधार पर इन मरीजों को सालो तक के इतने लम्बे समय तक बिना बीमारी के ये दवा दे दी जायेंगी, तो फिर उनका तो भगवान ही मालिक होगा.
साथ ही छोटे-छोटे बच्चों को जब 15 माह तक प्रायमरी काम्प्लेक्स के नाम पर दवाइयां दी जाती हैं, तो उन मासूमों का क्या हाल होता होगा? जीवन में आगे जाकर उनको क्या-क्या परेशानी आती होगी?
मेरे ही एक परिचित के बच्चे को आज से 25 वर्ष पूर्व टी.बी. की ये दवाइयाँ प्रायमरी काम्प्लेक्स बताकर दी गयी थी, तब से वह बच्चा आज शादीशुदा व बच्चों वाला युवक है, लेकिन फिर भी वह अपनी जिम्मेदारी सम्हाल नहीं पा रहा है और अपने पिता पर ही आश्रित है. इससे यह पता चल रहा है कि हम अपनी आगे आने वाली पीढ़ी को किस दलदल में धकेल रहे हैं?
हमारे फेसबुक के दिल्ली के एक मित्र श्री मिश्र सा. बताते हैं कि जब डॉक्टरों द्वारा gastric pain को heart attack बताया जाता है, तो हम क्या कर सकते हैं?
अनपढ़ तो छोड़िए, समझदार व्यक्ति और उसके परिवार वाले भी एक डॉक्टर की बात मानने के अलावा उस समय क्या कर सकते हैं?
वे आगे बताते हैं कि डॉक्टर साहब मेरी स्वयं की दो बार heart surgery हो गई है व aeortic valve व एक जीवन रक्षक प्रणाली ICD implanted है। अब cardiologist की हर एक बात मानने को मैं मजबूर हूँ।
यह बात भी सही है कि टी.बी. की दवा डेढ़ साल तक लेने के बाद भी कई मरीजों को आराम नहीं होता है, फिर दूसरी कई जांच कराई जाती है और फिर से दूसरी दवाइयां दे दी जाती हैं. तब फिर अन्य कई रोग होने पर कई दवाइयां आपको आजीवन लेनी पड़ती हैं.
कुछ सालों बाद किसी भी छोटी सी परेशानी होने पर डॉक्टर फिर से कहता है कि ये जांच और करवाओ. इस तरह आपके लाखो रूपए लुटते हैं और फिर आपकी पूरी जिंदगी परेशानी और उलझन में ही ख़त्म हो जाती है.
सभी डॉक्टरों के लिए प्रत्येक मरीज आज सिर्फ एक ग्राहक ही हैं और कोई दुकानदार अपने ग्राहक को क्यों छोड़ेगा? आज मरीजों की हालत इतनी बिगड़ चुकी है कि जैसा डॉक्टर नचा रहे हैं, वैसे ही वे और उनके परिवार वाले नाच रहे हैं. इस घटना से सिद्ध होता है कि आज के अधिकांश रोग एलोपेथी डॉक्टरों द्वारा डराकर और हवाबाजी करके ही पैदा किये जाते है.
आज के कई गंभीर रोग तो वास्तव में किसी एक बीमारी के इलाज से पैदा होते हैं और अधिकांश प्रकरणों में देखा गया है की मूल रोग से ये रोग कई गुणा ज्यादा खतरनाक होते हैं.
एलोपैथी में प्रयुक्त प्रत्येक दवा किसी न किसी रूप में शरीर को हानि अवश्य पहुँचाती है, कुछ बीमारियों में दूसरे विकल्प कम होने से उपयोग आवश्यक हो जाता है। किन्तु सालोंसाल इलाज करवाने पर भी ये गंभीर बीमारी हुई तो क्यों?
क्या इस बात का किसी भी डॉक्टर के पास कोई जवाब है? क्या सालों तक दवाई लेने पर भी बीमार रहने की कोई जिम्मेदारी डॉक्टरों पर नहीं आती है?
सभी डॉक्टर आपस में इतने जुड़े रहते हैं कि किसी एक डॉक्टर की गलती को कोई दूसरा डॉक्टर नहीं बतायेगा. मरीज का चाहे कुछ भी होता रहे, इससे उन्हें क्या?
हमारे शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम का उचित संतुलन ही हमारे शरीर को स्वास्थ्य प्रदान करता है और उसके फलस्वरूप हमारे शरीर के सभी अंगो का कार्य ठीक तरह से होता रहता है।
अत: किसी भी कारण से यदि हमारे इम्यूनिटी सिस्टम की प्रक्रिया गड़बड़ा जाए, तो हम बीमारी हो जाते हैं।
बीमारी के उपचार के लिये हमारे देश में कई तरह की चिकित्सा प्रणाली हैं, जैसे कि एलोपैथी, आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी आदि. हर चिकित्सा प्रणाली के अपने-अपने गुण-दोष होते है.
ख़ास तौर पर हम यह बात कह सकते हैं कि एलोपेथी ने सर्जरी और विभिन्न शारीरिक जांच के क्षेत्र में बहुत तरक्की की है, लेकिन एलोपेथी दवाइयों के दुष्परिणाम इतने भयानक होते हैं कि उनसे शरीर तंत्र को अकल्पनीय नुक्सान पहुँचता है और अक्सर कुछ समय बाद अधिकांश लोगों को आजीवन दवाइयां लेनी पड़ती है.
इस तरह हमारा शरीर दवाइयों का गुलाम बन घिसट-घिसट कर चलने लगता है. इस उपचार से शरीर के दूसरे अंगों पर उस दवाई का क्या प्रभाव पड़ेगा, इस बात की भी कोई जानकारी नहीं दी जाती है.
एलोपैथी की चिकित्सा प्रणालियाँ शरीर आश्रित न होकर बीमारी आधारित होती हैं.
1) इनमें शरीर के किसी भी अंग में हो रही किसी भी बीमारी का इलाज करने का दावा किया जाता है.
2) बाद में कोई भी समस्या होने पर कहा जाता है कि यह नई बीमारी पैदा हो गयी है. फिर उसका उपचार शुरू किया जाता है. इस तरह एक तरह की चेन-रिएक्शन शुरू हो जाती है और हम डॉक्टरों के मरीज से ग्राहक बन जाते हैं.
3) अधिकांश लोगों को अधिकांश एलोपथिक दवाइयां पूरी तरह पचती नहीं है, जिसके कारण हमारी किडनी, आतों और लीवर को बची हुई दवाइयों को बाहर निकलने में अत्यधिक परेशानी आती है. यही कारण है कि आजकल बहुत से लोगों की किडनी जल्द ही ख़राब हो जाती है, जबकि भगवान ने एक किडनी की ही जरुरत होने पर भी हमें दो किडनी दी हैं. लेकिन लीवर और ह्रदय की क्षति होने पर उसको सुधारने का का तो कोई विकल्प होता ही नहीं है.
4) हर दिन नई एलोपथिक दवाइयां बन रही हैं और अधिकांश पुरानी दवाइयों के घातक और खतरनाक परिणामों के कारण इन्हें कुछ ही वर्षों बाद बेन करना पड़ता है. वे दवाइयां तो शुरू से ही मनुष्यों को हानिकारक थी, लेकिन यह बात 10 से 20 वर्षों बाद पता चलती है, और तब इन्हें बेन किया जाता है. इस तरह मल्टीनेशनल कम्पनियां और डॉक्टर मिलकर का एलोपेथिक दवाइयों का व्यापार कर करोड़ों रुपयों की काली कमाई कर रहे हैं.
5) कई बार मल्टीनेशनल दवा कम्पनियां किसी भी नई दवाई के हानिकारक असर को जानते हुए भी जानबूझ कर अपने अनुसंधानों में हुए करोड़ो रूपये के खर्च की भरपाई के लिए इन्हें पैसे के बल पर और डॉक्टरों को मोटी रकम कमिशन के रूप में दे कर बाज़ार में उतार कर मरीजों को खिला देते हैं.
6) ये मल्टीनेशनल दवा कम्पनियां कई बार फिर दूसरी दवा का ड्रग ट्रायल करके अपनी ही पिछली दवा के अवगुण बता कर उसे बेन कर देते हैं और नई दवा को बाजार में उतार देते हैं.
7) हमारे देश में मेडिकल फील्ड में इतना बुरा हाल है कि किसी भी प्रकरण में डॉक्टर ही भगवान हैं, डॉक्टर ही जज हैं, डॉक्टर ही वकील हैं और डॉक्टर जो चाहते हैं, वही होता है. उनके ऊपर कोई नहीं हटा है, वे जो चाहे कर सकते हैं; बस मरीज ही हर द्रष्टि से मुलजिम है, मरीज ही मुजरिम है. बस अब उसे आजीवन अत्यंत पीड़ादायक सजा भुगतना ही है.
8) कई बड़े-बड़े अस्पतालों में हो रहे मरीजों के शोषण को देख कर कई बार मुझे लगता है कि गिद्धों का झुण्ड तो किसी मरे हुए प्राणी का ही मांस नोंच-नोंच कर खाते हैं, किन्तु हमारे बहुत से डॉक्टर्स तो कई तरह की जांच, सर्जरी और दवाइयों के नाम पर एक जीवित मनुष्य को ही नोंच-नोंच कर खाते हैं.
9) यह कितनी बड़ी विडंबना है कि जिन्हें हम साक्षात् भगवान की संज्ञा देते हैं, वे अपनी डॉक्टरी और फिर किसी विषय में विशेषज्ञता प्राप्त करने में लगे करोडो रुपयों को वसूलने में ही लगे रहते हैं. मरीजों की पीड़ा और उनके परिवार की व्यथा कथा को जानकर भी वे निर्मम ही होते हैं.
10) हमारे भारत में इस क्षेत्र में इतनी ढील है कि कई दवाइयों को आज हमारे देश को छोड़ कर इन्हें विश्व के कई देशों में बेन भी किया जा चुका है.
11) आज कई बीमारियों जैसे डायबटीज, ह्रदय रोग, ब्लड प्रेशर, कैंसर, एड्स, दमा आदि का कोई उपचार नहीं है, सिर्फ उन्हें आगे और फैलने से रोकने के लिए दवाई दी जाती हैं, जो कई बार आजीवन चलती हैं और जिसके अपने आप में बहुत से हानिकारक प्रभाव होते हैं.
12) साथ ही अधिकांश औषधियाँ उन पर लिखे मूल्य की तुलना में बेहद सस्ती होती हें. औषधि निर्माता कंपनियाँ दो तरह की दवाएं बनाती है, एक वह जिसे किसी ब्रांड नाम से बेचती है, दूसरी जेनरिक नाम से जैसे पेरासिटामोल आदि और अधिकतर में एक पेटेंट नाम भी हो सकता है। पेटेंट नाम से बेची जाने वाली दवा चार या उससे कई गुना अधिक मूल्य तक की हो सकती है, जबकी जेनरिक नाम से बेची जाने वाली दवा पर भी प्रिंट रेट अक्सर दो से चार गुना होता है।
1. थोक विक्रेताओं द्वारा रिटेलर या किसी चिकित्सालय स्टोर को प्रिंट रेट से काफी कम में ही दवाइयां बेची जातीं हें। यही कारण है कि आजकल लगभग हर नर्सिंग होम/ चिकित्सालय या चिकित्सक ने अपना अलग मेडिकल स्टोर खोला हुआ है, और चिकित्सक वे नाम ही प्रेस्क्राइब करते हैं, जो उनके यहाँ पर ही मिलती हैं.

तपेदिक या टी.बी. में रोगी को टी.बी.होने पर हल्का बुखार रहना, धीरे-धीरे वजन कम होना, कमजोरी लगना, खाँसी, कभी-कभी मुँह से खून गिरना, हड्डी और आँतों की टी.बी., आँतों में सुजन, यूरिन में जलन आदि होता है. इसका उपचार इस तरह का होता है -
1. HSL कम्पनी की होम्योकाम्ब नं. 30 की दो गोली दिन में तीन से चार बार तक तीन माह तक तक ले,
2. साथ ही इसी कम्पनी की DROX 28 की 10 बूँद दिन में दो से तीन बार खाने के बाद लें. इसे हर माह में एक हफ्ते के लिए ही लें और सिर्फ तीन माह तक ही दें.
3. इसके साथ ही बायो काम्ब न. 32 की 6 गोली दिन में 4 बार चूंस लेना चाहिये.
4. हर माह एक बार ट्यूबरकुलाईनम 200 या 1M का एक डोज ले. जिस दिन यह दवा लें, उस दिन और कोई दवा न लें. इसे भी सिर्फ तीन बार तीन माह में ही लें.
5. आर्सेनिक आयोडाइड 6 को दिन में तीन बार हर माह में एक हफ्ते के लिए ही लें. इसे भी सिर्फ तीन माह तक ही लें.
बच्चों में यह प्राइमरी काम्प्लेक्स या बच्चों की टी.बी. के रूप में होता है. एलोपैथी में बच्चों के डॉक्टर के अनुसार अधिकाँश बच्चों को प्राइमरी काम्प्लेक्स या बच्चों की टी.बी. हो जाती है और इसमें उन्हें 9 माह से 15 माह तक दवा दी जाती है. बच्चों की टी.बी. के उपचार के लिए दवा को निम्नानुसार लेना उचित होगा –
1. आप HSL कम्पनी की होम्योकाम्ब नं. 30 की एक गोली दिन में तीन से चार बार तक तक दें.
2. इसके साथ ही बायो काम्ब न. 32 की 4 गोली दिन में 4 बार चूंसने देना चाहिये.
3. इन दोनों दवा को दो से तीन माह तक दें.
• शरीर की ओवरहालिंग और रिचार्जिंग –
हमेशा स्वस्थ रहने के लिए कोई भी व्यक्ति या परिवार अगर निम्न उपचार द्वारा अपने शरीर की ओवरहालिंग और रिचार्जिंग करता है और खान-पान तथा एक्सरसाइज भी निम्न अनुसार लेता है, तो उसे कभी भी कैंसर, डायबटीज, ह्रदय रोग, लिवर रोग, किडनी फेल्यर, टी.बी., फेफड़े के रोग, चर्म रोग आदि कोई भी गंभीर बीमारी नहीं होगी और वह आजीवन सपरिवार स्वस्थ, प्रसन्न और खुशहाल रह सकेगा -
1. सबसे पहले आप सुबह 7 बजे कुल्ला करके सल्फर 200 को, फिर दोपहर को आर्निका 200 और रात्रि को खाने के एक से दो घंटे बाद या नौ बजे नक्स वोम 200 की पांच-पांच बूँद आधा कप पानी से एक हफ्ते तक ले, फिर हर तीन से छह माह में तीन दिन तक लें.
2. इन दवाइयों को लेने के एक हफ्ते बाद हर 15-15 दिन में सोरिनम 200 का मात्र एक-एक पांच बूँद का डोज चार बार तक ले, ताकि आपके शरीर के अंदर जमा दवाई और दूसरे अन्य केमिकल और पेस्टीसाइड के विकार दूर हो सकें और आपके शरीर के सभी ह्रदय, फेफड़े, लीवर, किडनी आदि मुख्य अंग सुचारू रूप से कार्य कर सकेंगे. बच्चों और ज्यादा वृद्धों में ये सभी दवा 30 की पावर में दें.
3. अगर कब्ज रहता हो, तो होम्योलेक्स या HSL कम्पनी की होम्योकाम्ब नं. 67 की एक या आधी गोली रोज रात एक सफ्ताह तक 9.30 बजे लें. इसके बाद हर व्यक्ति को चाहिए कि वह इसे हर हफ्ते एक या आधी गोली रात्रि 9.30 बजे ले.
4. आप सुबह दो से चार गिलास कुनकुना पानी पीकर 5 मिनिट तक कौआ चाल (योग क्रिया) करें.
5. साथ ही पांच या अधिक से अधिक दस बार तक सूर्य नमस्कार करें. फिर 200 से 500 बार तक कपाल-भांति करें. इसके बाद प्राणायाम करें.
6. रोज सुबह और रात को 15-15 मिनिट का शवासन भी करें.
7. फिर एक घंटे बाद अगर सूट करे, तो कम से कम एक माह तक नारियल पानी लें. या फिर इसे दोपहर चार बजे भी ले सकते हैं.
8. सुबह और शाम को अगर संभव हो, तो एक घंटा अवश्य घूमें.
9. रात को सोते समय अष्टावक्र गीता में बताये अनुसार दो मिनिट के लिए “मैं स्वयं ही तीन लोक का चैतन्य सम्राट हूँ” ऐसा जाप करें.
10. उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के चार्ज किये और मिलाकर बने चुम्बकित जल को लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में रोज दिन में 3 बार उपयोग करें.
11. रोज सुबह उच्च शक्ति चुम्बकों को हथेलियों पर 15 मिनिट से आधे घंटे के लिए लगायें और रात्रि को खाने के दो घंटे बाद पैर के तलुवों पर 15 मिनिट से आधे घंटे के लिए दक्षिणी चुम्बक को बायीं ओर और उत्तरी चुम्बक को दाहिनी ओर लगाये.
12. गेंहू, जौ, देसी चना और सोयाबीन को सम भाग मिलाकर पिसवा ले और उसकी रोटी सादे मसाले की रेशेदार सब्जी से खाएं. दाल का प्रयोग कम कर दें.
13. बारीक आटे व मैदे से बनी वस्तुएं, तली वस्तुएं एव गरिष्ठ भोजन का त्याग करे।
14. सुबह-शाम चाय के स्थान पर नीबू का रस गरम पानी में मिला कर पिएं।
15. खाने में सिर्फ सेंधे नमक का प्रयोग करें.
16. रात को सोने से पहले पेट को ठण्डक पहुँचायें। इसके लिए खाने के चार घंटे बाद एक नेपकिन को सामान्य ठन्डे पानी से गीली करके पेट पर रखें और हर दो मिनिट में पलटते रहें. 15 मिनिट से 20 मिनिट तक इसे करें.
17. मैथी दाना 250 ग्राम, अजबाइन 100 ग्राम और काली जीरी 50 ग्राम को पीस कर इस चूर्ण को कुनकुने पानी से रात्रि 9.30 बजे एक चम्मच लें.
18. रात्रि को खाना और जमीकंद खाना, शराब पीना व धूम्रपान अगर करते हों या तम्बाखू खाते हों, तो इन्हें बंद करें. शाकाहारी भोजन ही लें.
19. अपने शरीर की सालाना ओवरहालिंग के लिए साल में एक बार अपने आसपास के किसी भी प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में जाकर वहां का दस दिन का कोर्स करें.
20. अपने घर के बुजुर्ग लोगों की रोज एक घंटे के लिये सेवा और मदद करें.
21. अपने आसपास की झोपड़पट्टी में रहने वाले किसी गरीब व्यक्ति की हर हफ्ते जाकर मदद करें.
22. अध्यात्मिक कैप्सूल के रूप में मेरी पुस्तक मुक्तियाँ की एक-एक मुक्ति तीन माह तक रोज पढ़ें. इससे आपकी नेगेटिव एनर्जी कम होगी और पॉजिटिव एनर्जी बहुत तेजी से बढेगी.
23. मेरी स्वस्थ रहे, स्वस्थ करें, मुक्तियाँ और अन्य कई पुस्तकों को मेरे Samadhan समाधान ग्रुप से निशुल्क डाउन लोड करें. आप चाहे तो अपना email address मेरे मेसेज बाक्स में दे दे, तो मैं आपको डायरेक्ट मेल कर दूंगा.
24. होम्योकाम्ब और बायोकाम्ब नम्बर से मिलती हैं. इनके नम्बर ध्यान से लिखें. साथ ही होम्योकाम्ब और बायोकाम्ब में कन्फ्यूज न हों. इन्हें साफ़-साफ़ लिखें.
25. किसी भी गंभीर मरीज को किसी विशेषज्ञ डॉक्टर को तत्काल दिखायें.
26. होम्योपैथी की दवाइयों को मुंह साफ़ करके कुल्ला करके लेना चाहिए. इनको लेते समय किसी भी तरह की सुगन्धित चीजों और प्याज, लहसुन, काफी, हींग और मांसाहार आदि से बचे और दवा लेने के आधा घंटा पहले और बाद में कुछ न लें.
27. हर दिन नई एलोपथिक दवाइयां बन रही हैं और अधिकांश पुरानी दवाइयों के घातक और खतरनाक परिणामों के कारण इन्हें कुछ ही वर्षों में भारत को छोड़ कर विश्व के कई देशों में बेन भी किया जा रहा है.
28. हमें भी चाहिये कि हम मात्र एलोपथिक दवाइयों पर ही निर्भर न रहकर योगासन, सूर्य किरण भोजन, अमृत-जल या सूर्य किरण जल चिकित्सा, एक्यूप्रेशर, बायोकेमिक दवाइयाँ आदि निर्दोष प्रणालियों को अपना कर खुद और अपने परिवार को सुरक्षित करें.
29. इस तरह दवा मुक्त विश्व का निर्माण करना ही हमारा एकमात्र उद्देश्य है और इसके लिए आप सभी का सहयोग चाहिये, जो आप मेरे इन सन्देशों को दूर-दूर तक फैला कर मुझे दे सकते हैं.
30. मेरी सभी स्वास्थ्य सम्बन्धी, लोक कल्याण, मानवाधिकार और आध्यात्मिक पोस्ट और पुस्तकों को देखने और उन्हें डाउनलोड करने के लिए आप मेरे ग्रुप “HEALTH CARE स्वस्थ रहो, स्वस्थ करो” और “Samadhan समाधान” से जुड़ सकते हैं और अपने दोस्तों को भी जोड़ सकते हैं.
31. मेरे नये आध्यात्मिक ग्रुप “कहान गुरु आस्था परिवार Kahan Guru Aastha Parivar” में आप सभी का स्वागत है. अतः मेरे इस इस शाश्वत कल्याणकारी ग्रुप से खुद भी जुड़े और अपने संगी-साथी को भी जोड़कर उनका भी अपने निज-परमात्मा के चैतन्य-चमत्कार से परिचय करवाएं.

कुछ शिष्य शिक्षा प्राप्त कर रहे थे

एक गुरुजी थे। उनके आश्रम में कुछ शिष्य
 शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। एक बार
 बातचीत में एक शिष्य ने पूछा -गुरुजी,
 क्या ईश्वर सचमुच है? गुरुजी ने कहा -
 ईश्वर अगर कहीं है तो वह हम सभी में है।
 शिष्य ने पूछा - तो क्या मुझमें और आपमें
 भी ईश्वर है?
 गुरुजी बोले - बेटा, मुझमें, तुममें, तुम्हारे
 सारे सहपाठियों में और हर जीव-जंतु में
 ईश्वर है। जिसमें जीवन है उसमें ईश्वर है।
 शिष्य ने गुरुजी की बात याद कर ली।
 कुछ दिनों बाद शिष्य जंगल में लकड़ी लेने
 गया। तभी सामने से एक हाथी बेकाबू
 होकर दौड़ता हुआ आता दिखाई दिया।
 हाथी के पीछे-पीछे महावत
 भी दौड़ता हुआ आ रहा था और दूर से
 ही चिल्ला रहा था - दूर हट जाना,
 हाथी बेकाबू हो गया है, दूर हट जाना रे
 भैया, हाथी बेकाबू हो गया है।
 उस जिज्ञासु शिष्य को छोड़कर
 बाकी सभी शिष्य तुरंत इधर-उधर भागने
 लगे। वह शिष्य अपनी जगह से बिल्कुल
 भी नहीं हिला, बल्कि उसने अपने दूसरे
 साथियों से कहा कि हाथी में भी भगवान
 है फिर तुम भाग क्यों रहे हो? महावत
 चिल्लाता रहा, पर वह शिष्य
 नहीं हटा और हाथी ने उसे धक्का देकर एक
 तरफ गिरा दिया और आगे निकल गया।
 गिरने से शिष्य होश खो बैठा।
 कुछ देर बाद उसे होश आया तो उसने
 देखा कि आश्रम में गुरुजी और शिष्य उसे
 घेरकर खड़े हैं। साथियों ने शिष्य से
 पूछा कि जब तुम देख रहे थे
 कि हाथी तुम्हारी तरफ दौड़ा चला आ
 रहा है तो तुम रस्ते से हटे क्यों नहीं?
 शिष्य ने कहा - जब गुरुजी ने कहा है
 कि हर चीज में ईश्वर है तो इसका मतलब है
 कि हाथी में भी है। मैंने सोचा कि सामने से
 हाथी नहीं ईश्वर चले आ रहे हैं और
 यही सोचकर मैं अपनी जगह पर खड़ा रहा,
 पर ईश्वर ने मेरी कोई मदद नहीं की।
 गुरुजी ने यह सुना तो वे मुस्कुराए और बोले
 -बेटा, मैंने कहा था कि हर चीज में भगवान
 है। जब तुमने यह माना कि हाथी में
 भगवान है तो तुम्हें यह भी ध्यान
 रखना चाहिए था कि महावत में
 भी भगवान है और जब महावत चिल्लाकर
 तुम्हें सावधान कर रहा था तो तुमने
 उसकी बात पर ध्यान क्यों नहीं दिया?
 शिष्य को उसकी बात का जवाब मिल
 गया था।.

शराब पीकर और मोबाइल पर बात करते समय वाहन ना चलायें ..........

its a story not true - 
मैं एक दुकान में खरीददारी कर रहा था, तभी मैंने उस दुकान
के कैशियर को एक ५-६ साल के लड़के से बात करते हुए देखा |
कैशियर बोला: "माफ़ करना बेटा, लेकिन इस गुड़िया को खरीदने
के लिए तुम्हारे पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं|" फिर उस छोटे-से लड़के
ने मेरी ओर मुड़ कर मुझसे पूछा ''अंकल, क्या आपको भी यही
लगता है कि मेरे पास पूरे पैसे नहीं हैं?'' मैंने उसके पैसे गिने और
उससे कहा: "हाँ बेटे, यह सच है कि तुम्हारे पास इस गुड़िया को
खरीदने के लिए पूरे पैसे नहीं हैं" | वह नन्हा-सा लड़का अभी भी
अपने हाथों में गुड़िया थामे हुए खड़ा था | मुझसे रहा नहीं गया |

इसके बाद मैंने उसके पास जाकर उससे पूछा कि यह गुड़िया
वह किसे देना चाहता है? इस पर उसने उत्तर दिया कि यह वो
गुड़िया है - जो उसकी बहन को बहुत प्यारी है | और वह इसे,
उसके जन्मदिन के लिए उपहार में देना चाहता है | "यह गुड़िया
पहले मुझे मेरी मम्मी को देना है, जो कि बाद में जाकर मेरी
बहन को दे देंगी" | यह कहते-कहते उसकी आँखें नम हो आईं थीं |

"मेरी बहन भगवान के घर गयी है...और मेरे पापा कहते हैं कि
मेरी मम्मी भी जल्दी-ही भगवान से मिलने जाने वाली हैं| तो,
मैंने सोचा कि क्यों ना वो इस गुड़िया को अपने साथ ले जाकर,
मेरी बहन को दे दें...|" मेरा दिल धक्क-सा रह गया था |
उसने ये सारी बातें एक साँस में ही कह डालीं और फिर मेरी ओर
देखकर बोला -"मैंने पापा से कह दिया है कि - मम्मी से कहना कि
वो अभी ना जाएँ| वो मेरा, दुकान से लौटने तक का इंतजार करें|

फिर उसने मुझे एक बहुत प्यारा-सा फोटो दिखाया, जिसमें वह
खिलखिला कर हँस रहा था | इसके बाद उसने मुझसे कहा
"मैं चाहता हूँ कि मेरी मम्मी, मेरा यह फोटो भी अपने साथ ले जायें,
ताकि मेरी बहन मुझे भूल नहीं पाए | मैं अपनी मम्मी से
बहुत प्यार करता हूँ और मुझे नहीं लगता कि वो मुझे ऐसे
छोड़ने के लिए राजी होंगी, पर पापा कहते हैं कि उन्हें
मेरी छोटी बहन के साथ रहने के लिए जाना ही पड़ेगा |

इसके बाद फिर से उसने उस गुड़िया को ग़मगीन आँखों-से,
खामोशी-से देखा| मेरे हाथ जल्दी से अपने बटुए ( पर्स )
तक पहुँचे, और मैंने उससे कहा "चलो एक बार और गिनती
करके देखते हैं कि तुम्हारे पास गुड़िया के लिए पर्याप्त पैसे हैं
या नहीं?'' उसने कहा: "ठीक है| पर मुझे लगता है मेरे पास पूरे पैसे हैं" |

इसके बाद मैंने उससे नजरें बचाकर कुछ पैसे उसमें जोड़ दिए,
और फिर हमने उन्हें गिनना शुरू किया | ये पैसे उसकी गुड़िया के
लिए काफी थे यही नहीं, कुछ पैसे अतिरिक्त बच भी गए थे |
नन्हे-से लड़के ने कहा: "भगवान् का लाख-लाख शुक्र है -
मुझे इतने सारे पैसे देने के लिए!” फिर उसने मेरी ओर देख
कर कहा कि "मैंने कल रात सोने से पहले भगवान् से प्रार्थना
की थी कि मुझे इस गुड़िया को खरीदने के लिए पैसे दे देना,
ताकि मम्मी इसे मेरी बहन को दे सकें | और भगवान् ने मेरी
बात सुन ली| इसके अलावा मुझे मम्मी के लिए एक सफ़ेद
गुलाब खरीदने के लिए भी पैसे चाहिए थे, पर मैं भगवान् से इतने
ज्यादा पैसे मांगने की हिम्मत नहीं कर पाया था |

पर भगवान् ने तो मुझे इतने पैसे दे दिए हैं कि अब मैं गुड़िया के साथ-साथ एक
सफ़ेद गुलाब भी खरीद सकता हूँ ! मेरी मम्मी को सफेद गुलाब
बहुत पसंद हैं|" फिर हम वहा से निकल गए | मैं अपने दिमाग से
उस छोटे-से लड़के को निकाल नहीं पा रहा था | फिर, मुझे दो दिन
पहले स्थानीय समाचार पत्र में छपी एक घटना याद आ गयी ,
जिसमें एक शराबी ट्रक ड्राईवर के बारे में लिखा था | जिसने,
नशे की हालत में मोबाईल फोन पर बात करते हुए एक कार-चालक
महिला की कार को टक्कर मार दी थी,

जिसमें उसकी ३ साल की बेटी की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो
गयी थी और वह महिला कोमा में चली गयी थी|
अब एक महत्वपूर्ण निर्णय उस परिवार को ये लेना था कि,
उस महिला को जीवन-रक्षक मशीन पर बनाए रखना है अथवा नहीं?
क्योंकि वह कोमा से बाहर आकर, स्वस्थ हो सकने की अवस्था में नहीं थी |
क्या वह परिवार इसी छोटे-लड़के का ही था? मेरा मन रोम-रोम काँप उठा |
मेरी उस नन्हे लड़के के साथ हुई मुलाक़ात के 2 दिनों बाद मैंने
अखबार में पढ़ा कि उस महिला को बचाया नहीं जा सका |

मैं अपने आप को रोक नहीं सका, और अखबार में दिए पते पर जा पहुँचा,
जहाँ उस महिला को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था |
वह महिला श्वेत-धवल कपड़ों में थी - अपने हाथ में एक सफ़ेद
गुलाब और उस छोटे-से लड़के का वह फोटो लिए हुए|
और उसके सीने पर रखी हुई थी - वही गुड़िया |
मेरी आँखे नम हो गयी, मैं नम आँखें लेकर वहाँ से लौटा|
उस नन्हे-से लड़के का अपनी माँ और उसकी बहन के लिए जो प्यार था,
वह शब्दों में बयान करना मुश्किल है | और ऐसे में, एक शराबी
चालक ने अपनी घोर लापरवाही से, क्षण-भर में उस लड़के से
उसका सब कुछ छीन लिया था.............
******************************************************************
****************** इस कहानी से, सिर्फ और सिर्फ एक पैग़ाम देना चाहता हूँ :
कृपया - कभी भी शराब पीकर और मोबाइल पर बात करते समय वाहन ना
चलायें ..........

एक लड़के को बहुत क्रोध आता था।

एक 12-13 साल के लड़के को बहुत क्रोध
आता था।
उसके
पिता ने उसे ढेर सारी कीलें दीं और कहा कि जब
भी उसे क्रोध आए वो घर केसामने लगे पेड़ में वह
कीलें
ठोंक दे।
पहले दिन लड़के ने पेड़ में 30 कीलें ठोंकी।
अगले कुछ
हफ्तों में उसे अपने क्रोध पर धीरे-धीरे नियंत्रण
करना आ गया।
अब वह पेड़ में प्रतिदिनइक्का-
दुक्का कीलें ही ठोंकता था।
उसे यह समझ में आ
गया था कि पेड़ में कीलें ठोंकने के बजाय क्रोध पर
नियंत्रण करना आसान था।
एक दिन ऐसा भी आया जब उसने पेड़
में एक भी कील नहीं ठोंकी।
जब उसने अपने
पिता को यह बताया तो पिता ने उससे
कहा कि वह
सारी कीलों को पेड़ सेनिकाल दे।
लड़के ने बड़ी मेहनत करके जैसे-तैसे पेड़ से सारी कीलें
खींचकर निकाल दीं।
जब उसने अपने पिता को काम
पूरा हो जाने के बारे में बताया तो पिता बेटे
का हाथ थामकर उसे पेड़के पास लेकरगया। पिताने
पेड़ को देखते हुए बेटे से कहा
– तुमने बहुत अच्छा काम
किया, मेरे बेटे, लेकिन पेड़ के तने पर बने
सैकडों कीलों के
इन निशानों को देखो।
अब यह पेड़ इतना खूबसूरत
नहीं रहा।
हर बार जब तुम क्रोध किया करते थे तब
इसी तरह के निशान दूसरोंके मन पर बन जाते थे।
अगर तुम किसी के पेट में छुरा घोंपकर बाद में
हजारों बार माफी मांग भीलो तब भी घाव
का निशान वहां हमेशा बनारहेगा।
अपने मन-वचन-कर्म से कभी भी ऐसा कृत्य न
करो जिसके लिए तुम्हें सदैव पछताना पड़े |
क्रोध को कमजोरी नहीं ताकत बनाओ.....!!

एकाग्रता का प्रभाव

एक बार स्वामी विवेकानंदजी मेरठ आये। उनको पढ़ने का खूब
शौक था। इसलिए वे अपने शिष्य अखंडानंद द्वारा पुस्तकालय में
से पुस्तकें पढ़ने के लिए मँगवाते थे। केवल एक ही दिन में पुस्तक
पढ़कर दूसरे दिन वापस करने के कारण ग्रन्थपाल क्रोधित
हो गया। उसने कहा कि रोज-रोज पुस्तकें बदलने में मुझे बहुत
तकलीफ होती है। आप ये पुस्तकें पढ़ते हैं कि केवल पन्ने
ही बदलते हैं?अखंडानंद ने यह बात स्वामी विवेकानंद
जी को बताई तो वे स्वयं पुस्तकालय में गये और ग्रंथपाल से
कहाः
ये सब पुस्तकें मैंने मँगवाई थीं, ये सब पुस्तकें मैंने पढ़ीं हैं। आप
मुझसे इन पुस्तकों में के कोई भी प्रश्न पूछ सकते हैं। ग्रंथपाल
को शंका थी कि पुस्तकें पढ़ने के लिए, समझने के लिए तो समय
चाहिए, इसलिए अपनी शंका के समाधान के लिए स्वामी विवेकानंद
जी से बहुत सारे प्रश्न पूछे। विवेकानंद जी ने प्रत्येक प्रश्न
का जवाब तो ठीक दिया ही, पर ये प्रश्न पुस्तक के कौन से पन्ने
पर हैं, वह भी तुरन्त बता दिया। तब
विवेकानंदजी की मेधावी स्मरणशक्ति देखकर ग्रंथपाल
आश्चर्यचकित हो गया और ऐसी स्मरणशक्ति का रहस्य पूछा।
स्वामी विवेकानंद ने कहाः पढ़ने के लिए ज़रुरी है एकाग्रता और
एकाग्रता के लिए ज़रूरी है ध्यान, इन्द्रियों का संयम