एक बार एक हार्ट सर्जन अपनी लक्ज़री कार लेकर उसके यहाँ सर्विसिंग कराने पहुंचे

शहर की मेन मार्केट में एक गराज था जिसे राकेश नाम का मैकेनिक चलाता था . वैसे तो राकेश एक अच्छा आदमी था लेकिन उसके अन्दर एक कमी थी , वो अपने काम को बड़ा और दूसरों के काम को छोटा समझता था .
 एक बार एक हार्ट सर्जन अपनी लक्ज़री कार लेकर उसके यहाँ सर्विसिंग कराने पहुंचे. बातों -बातों में जब राकेश को पता चला की कस्टमर एक हार्ट सर्जन है तो उसने तुरन्त पूछा , “ डॉक्टर साहब मैं ये सोच रहा था की हम दोनों के काम एक जैसे हैं… !”
 “एक जैसे ! वो कैसे ?” , सर्जन ने थोडा अचरजसे पूछा .
 “देखिये राकेश कार के कौम्प्लिकेटेड इंजन पर काम करते हुए बोल, “ ये इंजन कार का दिल है , मैं चेक करता हूँ की ये कैसा चल रहा है , मैं इसे खोलता हूँ , इसके वाल्वस फिट करता हूँ , अच्छी तरह से सर्विसिंग कर के इसकी प्रोब्लम्स ख़तम करता हूँ और फिर वापस जोड़ देता हूँ …आप भी कुछ ऐसा ही करते हैं ; क्यों ?”
 “हम्म ”, सर्जन ने हामी भरी .
 “तो ये बताइए की आपको मुझसे 10 गुना अधिक पैसे क्यों मिलते हैं, काम तो आप भी मेरे जैसा ही करते हैं ?”, राकेश ने खीजते हुए पूछा .
 सर्जन ने एक क्षण सोचा और मुस्कुराते हुए बोला , “ जो तुम कर रहे हो उसे चालू इंजन पे कर के देखो , समझ जाओगे

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