एक चांडाल संतो के सत्संग के कारण ईश्वर की
 भक्ति में लिन रहने लगा ! एक दिन वह मन्दिर की
 ओर जां रहा था कि अचानक किसी ने उसे जकड़
 लिया ! उसने जकडने वाले से पूछा, तुम कौन हो
 और तुमने मुझे क्यों जकाडा है ? जकडने वाले ने
 जवाब दिया, मैं ब्रह्मराक्षस हूँ! तुम्हे खाकर अपनी
 भूख मिटाना चाहता हूँ ! चांडाल को पूजा के लिए
 जाना था, अत: उसने कहा, मेरा प्रतिदिन का नियम
 है कि मैं भगवान की संगीतमई प्रार्थना करता हूँ ! पहले
 मैं अपने आराध्य की उपासना करके लौट आऊ, फिर
 तुम मुझे खा लेना! ब्रह्मराक्षस ने उसे छोड् दिया! चांडाल
 ने भगवान के विग्रह के समक्ष नाच-गाकर कीर्तन किया!
 फिर उसने अपने एक मित्र से कहा, आज हमारी आखिरी
 भेंट है! मैं राक्षस की भूख मिटाने जा रहा हूँ! मित्र ने उसे
 समझाया कि तुम्हे ऐसा पागलपान नही करना चाहिये!
 चांडाल ने जवाब दिया, सत्य सबसे बड़ा धर्म है! मैंने
 ब्रह्मराक्षस को वापस लौटने का वचन दिया है, उसे अवश्य
 पूरा करूँगा! फिर राक्षस के पास लौटकर कहा, अब मुझे
 खा लो! राक्षस उसकी ईश्वर एव सत्य के प्रति निष्ठा देखकर
 दंग रह गया! उसने कहा, अगर तुम मुझे अपने पुण्य में से
 एक दिन का भी पुण्य दे दो, तो मेरे सारे पाप नष्ट हो जायेंगे!
 चांडाल ने ऐसा ही किया और देखते ही देखते राक्षस की
 मुक्ति हो गयी!

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