एक छोटा बच्चा था । बहुत ही नेक और

एक छोटा बच्चा था ।
 बहुत ही नेक और होशियार था । पढ़ने में भी काफी तेज था ..
 एक दिन वो मंदिर में गया ।
 मंदिर के अन्दर सभी भक्तो भगवान के दर्शन कर रहे थे और मंत्र बोल रहे थे । कुछ भक्त स्तुतिगान भी कर रहे थे । कुछ भक्त संस्कृत के काफी मुश्केल श्लोक भी बोल रहे थे।

 लड़के ने कुछ देर यह सब देखा और उसके चहेरे पर युही मायूशी छा गयी । क्युकी उसे यह सब प्राथना और मंत्र बोलना आता नहीं था ।
 कुछ देर वहा खड़ा रहा और कुछ उपाय खोजने लगा ।

 कुछ पल में ही लड़के के चहेरे पर मुस्कराहट छा गयी । उसने अपनी आँखे बंध की , अपने दोनों हाथ जोड़े और दश बार A-B-C-D बोलने लगा।
 मंदिर के पुजारी ने यह देखा उसने लड़के से पूछा की "बेटे तुम यह क्या कर रहे हो , लड़के ने पूरी बात बताई ।"
 पुजारी ने कहा की ” बेटे भगवान से इस तरह से प्राथना नहीं की जा सकती, तुम तो A-B-C-D बोल रहे हो ।”
 लड़के ने उत्तर दिया की ” मुझे प्रार्थना , मंत्र , भजन नहीं आते . मुझे सिर्फ A-B-C-D ही आती है . प्रार्थना , मंत्र ,भजन यह सब A-B-C-D से ही बनते है ।
 मैं दस बार A-B-C-D बोल गया हूँ । यह सब शब्द में से भगवान अपने लिए खुद प्राथना , मंत्र , भजन बना लेंगे ।
 लड़के की बात सुनकर पुजारी जी चुप हो गए । उनको अपनी भूल का एहसास हो गया । उन्होंने बच्चें को बहुत सारा प्रसाद दिया और एक प्रार्थना सिखा दी ।

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